शैक्षिक उद्देश्य और अनुदेशनात्मक उद्देश्य
उद्देश्य का अर्थ
उद्देश्य ऐसा कथन या रूप हैं जो वांछित परिवर्तन की ओर संकेत करता है।
रॉबर्ट मेगर के अनुसार, ''एक उद्देश्य कुछ शब्दों का समूह है जो किसी कोर्स के वांछित परिणाम को व्यक्त करता है। यह ऐसी इच्छा है जो एक कथन द्वारा व्यक्त की जाती है और जिसमें शिक्षार्थी में प्रस्तावित परिवर्तन की व्याख्या की होती है। यह ऐसा कथन है जिसका प्रदर्शन शिक्षार्थी शिक्षक के अभिक्रमित प्रभाव के अन्त में करता है। यह वांछित अधिगम परिणाम का विशिष्टीकरण है अर्थात् यह अन्तिम व्यवहार है जो केवल मानवीय एवं दृष्टिगोचर गुणों को सूचित करता है।"
शैक्षिक लक्ष्य सामान्य कथन होते हैं। इनकी प्रकृति दार्शनिक होती है, अतः इसका स्वरूप अधिक व्यापक होता है। यह शिक्षण को दिशा प्रदान नहीं करते हैं। शिक्षण उद्देश्यों की प्रकृति मनोवैज्ञानिक होती है। शिक्षण की युक्तियों तथा व्यूह रचना के लिये इनका अधिक महत्व होता है।
डेबिट ए० गयने के अनुसार, "शैक्षिक उद्देश्यों से तात्पर्य छात्रों में होने वाले उन परिवर्तनों से हैं जो शैक्षिक क्रियाओं द्वारा नियोजित रूप से लाए जाते हैं। ये परिवर्तन समाज द्वारा निर्धारित प्रतिमानों के प्रतिबिम्ब हैं।"
इस परिभाषा से स्पष्ट होता है कि उद्देश्य की तीन विशेषताएं होती हैं ―
1. निर्देशन 一 यह उस क्रिया को निर्देशन प्रदान करता है जिसका निर्माण अन्तिम उद्देश्य की प्राप्ति के लिये किया गया है।
2. नियोजित परिवर्तन 一 यह नियोजित परिवर्तन में सहायता प्रदान करता है।
3. क्रिया का आधार 一 यह संगठित क्रियाओं को आधार प्रदान करता है।
बी० एम० ब्लूम के मतानुसार, "शैक्षिक उद्देश्य केवल वे लक्ष्य या उद्देश्य ही नहीं है जिन्हें प्राप्त करने के लिए पाठ्यक्रम की रचना की जाती है और जिनकी ओर शिक्षण को निर्देशित की किया जाता है अपितु यह मूल्यांकन की तकनीकी के निर्माण एवं प्रयोग के लिए विस्तृत स्पष्टीकरण भी प्रदान करता है।"
शैक्षिक उद्देश्यों की यह परिभाषा अत्यन्त व्यापक है। ब्लूम के विचारानुसार शिक्षा एक विध्रुवीय प्रक्रिया है।
ये तीन ध्रुव हैं 一
(1) शैक्षिक उद्देश्य
(2) अधिगम अनुभव
(3) व्यवहार में परिवर्तन।
अधिगम अनुभव शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये शिक्षण क्रियाओं द्वारा प्रदान किये जाते हैं और व्यवहार में परिवर्तन का मूल्यांकन शैक्षिक उद्देश्यों के अनुसार किया जाता है। अतः शैक्षिक उद्देश्य शिक्षण क्रियाओं तथा मूल्यांकन प्रविधियों का आधार है।
रार्बट मेगर के कथनानुसार, "एक अनुदेशनात्मक उद्देश्य ऐसी इच्छा है जो कथन द्वारा व्यक्त की जाती है और जिसमें शिक्षार्थी में प्रस्तावित परिवर्तन का उल्लेख होता है। उन्होंने आगे कहा है, 'अनुदेशनात्मक उद्देश्यों का कथन ऐसे शब्दों अथवा प्रतीकों का समूह जो आप की एक व्यक्त करता है कि आप जान सकें कि शिक्षार्थी क्या करेगा, कब अपनी उपलब्धि को प्रदर्शित करेगा और आप को कैसे मालूम होगा कि वह कब ऐसा कर रहा है।"
अनुदेशनात्मक उद्देश्य शिक्षार्थियों के व्यावहारिक परिवर्तन के रूप में प्राप्त होते हैं। वे वांछित अधिगम या शिक्षण के परिणाम या शिक्षार्थियों में व्यावहारिक उद्देश्य भी कहा जा सकता है। अनुदेशनात्मक उद्देश्य उन कौशलों, ज्ञान, योग्यताओं तथा दृष्टिकोणों की और संकेत करते हैं जिनकी प्राप्ति की विद्यार्थी से आशा की जाती है अर्थात् अध्यापक यार्थियों से आशा करता है कि अनुदेशन के परिणामस्वरूप वे इन्हें प्राप्त करेंगे। ये उद्देश्य सीमित, विशिष्ट, सुनिश्चित, स्पष्ट एवं क्रियात्मक होते हैं। ये कक्षीय शिक्षण से संबंधित होते है। ये बुनियादी उद्देश्य हैं, जिन्हें सीमित समय में आसानी से प्राप्त किया जा सकता हैं।
शैक्षिक उद्देश्य एवं अनुदेशनात्मक उद्देश्य में अन्तर
शैक्षिक उद्देश्य व्यापक होते हैं। ये शैक्षिक पद्धति तथा शिक्षा के व्यापक उद्देश्यों के साथ सबंधित होते हैं। शिक्षण अथवा अनुदेशनात्मक उद्देश्य संकुचित एवं विशिष्ट होते हैं और इनका सबंध कक्षीय शिक्षण के साथ होता है। शैक्षिक उद्देश्य प्राईमरी से विश्वविद्यालय तक शिक्षण को गठित करने से प्राप्त किये जाते हैं जबकि अनुदेशनात्मक उद्देश्य 30 से 45 मिनट की अवधि प्राप्त करने होते हैं।
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