स्मृति व स्मरण (Memory & Remembering)

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स्मृति व स्मरण
Memory & Remembering


"Individuals differ in memory as they do in other abilities."-Woodworth

स्मृति का अर्थ व परिभाषा  
Meaning & Definition of Memory 

स्मृति एक मानसिक क्रिया है, स्मृति का आधार अर्जित अनुभव है, इनका पुनरुत्पादन परिस्थिति के अनुसार होता है। हमारे बहुत से मानसिक संस्कार स्मृति के माध्यम से ही होते हैं।

स्टर्ट एवं ओकडन (Sturt & Oakden,) के अनुसार :- -'स्मृति', एक जटिल शारीरिक और मानसिक प्रक्रिया है, जिसे हम थोड़े से शब्दों में इस प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं। जब हम किसी वस्तु को छूते, देखते, सुनते या सूंघते हैं, तब हमारे 'ज्ञान-वाहक तन्तु' (Sensory Nerves) उस अनुभव को हमारे मस्तिष्क के 'ज्ञान-केन्द्र' (Sensory Center) में पहुँचा देते हैं। 'ज्ञान-केन्द्र' में उस अनुभव की 'प्रतिमा' बन जाती है, जिसे 'छाप' (Engram) कहते हैं। यह 'छाप' वास्तव में उस अनुभव का स्मृति चिन्ह (Memory Trace) होती है, जिसके कारण मानसिक रचना के रूप में कुछ परिवर्तन हो जाता है। यह अनुभव कुछ समय तक हमारे 'चेतन मन' में रहने के बाद 'अचेतन मन' (Unconscious Mind) में चला जाता है और हम उसको भूल जाते हैं। उस अनुभव को 'अचेतन मन' में संचित रखने और 'चेतन मन' में लाने की प्रक्रिया को 'स्मृति' कहते हैं। दूसरे शब्दों में, पूर्व अनुभवों को अचेतन मन में संचित रखने और आवश्यकता पड़ने पर चेतन मन में लाने की शक्ति को स्मृति कहते हैं।

1. वुडवर्थ :- जो बात पहले सीखी जा चुकी उसे स्मरण रखना ही स्मृति हैं। "Memory consists in remembering what has previously been fearned"-Woodworth 

2. रायबर्न :- अपने अनुभवों को संचित रखने और उनको प्राप्त करने के कुछ समय बाद चेतना के क्षेत्र में पुनः लाने की जो शक्ति हममें होती है, उसी को स्मृति कहते हैं।" "The power that we have to store our experiences and to bring them into the field of consciousness some time after the experiences have occurred, is termed memory."-Reyburn  

3. जेम्स" स्मृति उस घटना या तथ्य का ज्ञान है, जिसके बारे में हमने कुछ समय तक नहीं सोचा है, पर जिसके बारे में हमको यह चेतना है कि हम उसका पहले विचार या अनुभव कर चुके हैं।" "Memory is the knowledge of an event, or fact, of which, meantime we have not been thinking, with the additional consciousness that we have thought or experienced it before."-James

इन परिभाषाओं का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि (1) स्मृति एक आदर्श पुनरावृत्ति है (2) यह सीखी हुई वस्तु का सीधा उपयोग है (3) इसमें अतीत में घटी घटनाओं की कल्पना द्वारा पहचान की जाती है। (4) अतीत के अनुभवों को पुनः चेतना में लाया जाता है।

स्मृतियों के प्रकार 
Kinds of Memories

स्मृति का मुख्य कार्य है—हमें किसी पूर्व अनुभव का स्मरण कराना। इसका अभिप्राय यह हुआ कि प्रत्येक अनुभव के लिए पृथक स्मृति होनी चाहिए। इतना ही नहीं, पर जैसा कि स्टाउट ने लिखा है :-"केवल नाम के लिए पृथक स्मृति नहीं होनी चाहिए, वरन् प्रत्येक विशिष्ट नाम के लिए भी पृथक स्मृति होनी चाहिए।  "There must not only by a separate memory for names, but separate memory for each particular name."-Stout 

1. व्यक्तिगत स्मृति : Personal Memory - इस स्मृति में हम अपने अतीत के व्यक्तिगत अनुभवों को स्मरण रखते हैं। हमें यह सदैव स्मरण रहता है कि संकट के समय हमारी सहायता किसने की थी। 

2. अव्यक्तिगत स्मृति : Impersonal Memory - इस स्मृति में हम बिना व्यक्तिगत अनुभव किए बहुत-सी पिछली बातों को याद रखते हैं। हम इन अनुभवों को साधारणतः पुस्तकों से प्राप्त करते हैं। अतः ये अनुभव सब व्यक्तियों में समान होते हैं। 

3. स्थायी स्मृति Permanent Memory - इस स्मृति में हम याद की हुई बात को कभी नहीं भूलते हैं। यह स्मृति, बालकों की अपेक्षा वयस्कों में अधिक होती है।

4. तात्कालिक स्मृति : Immediate Memory - इस स्मृति में हम याद की हुई बात को तत्काल सुना देते हैं, पर हम उसको साधारणतः कुछ समय के बाद भूल जाते हैं। यह स्मृति सब व्यक्तियों में एक-सी नहीं होती है, और बालकों की अपेक्षा वयस्कों में अधिक होती है।

5. सक्रिय स्मृति: Active Memory - इस स्मृति में हमें अपने पिछले अनुभवों का पुनः स्मरण करने के लिए प्रयास करना पड़ता है। वर्णनात्मक निबन्ध लिखते समय छात्रों को उससे सम्बन्धित तथ्यों का स्मरण करने के लिए प्रयास करना पड़ता है।

6. निष्क्रिय स्मृति Passive Memory- इस स्मृति में हमें अपने पिछले अनुभवो का पुनः स्मरण करने में किसी प्रकार का प्रयास नहीं करना पड़ता है। पढ़ी हुई कहानी को सुनते समय छात्रों को उसकी घटनाएँ स्वतः याद आ जाती हैं। 

7. तार्किक स्मृति : Logical Memory - इस स्मृति में हम किसी बात को भली भाँति सोच-समझकर और तर्क करके स्मरण करते हैं। इस प्रकार प्राप्त किया जाने वाला ज्ञान वास्तविक होता है।

8. यान्त्रिक (रटन्स) स्मृति Rote Memory - इस स्मृति में हम किसी तथ्य को किसी प्रश्न के उत्तर को बिना सोचे समझे रटकर स्मरण करते हैं। पहाड़ों को याद करने और रटने की साधारण विधि यही है। है

9. आदत स्मृति : Habit Memory - इस स्मृति में हम किसी कार्य को बार-बार दोहरा कर और उसे आदत का रूप देकर स्मरण करते हैं। हम उसे जितनी अधिक बार दोहराते हैं, उतनी ही अधिक उसकी स्मृति हो जाती है।

10. शारीरिक स्मृति : Physiological Memory - इस स्मृति में हम अपने शरीर के किसी अंग या अंगों द्वारा किए जाने वाले कार्य को स्मरण रखते हैं। हमें उँगलियों से टाइप करना और हारमोनियम बजाना स्मरण रहता है। 
11. इन्द्रिय अनुभव Sense Impression Memory - इस स्मृति में हम इन्द्रियों का प्रयोग करके अतीत के अनुभवों को फिर स्मरण कर सकते हैं। हम बन्द आँखों से उन वस्तुओं को छूकर, चखकर या सूंघकर बता सकते हैं, जिनको हम जानते हैं। 

12. सच्ची या शुद्ध स्मृति True or Pure Memory - इस स्मृति में हम याद किये हुए तथ्यों का स्वतंत्र रूप से वास्तविक पुनः स्मरण कर सकते हैं। हम जो कुछ याद करते हैं, उसका हमें क्रमबद्ध ज्ञान रहता है। इसीलिए, इस स्मृति को सर्वोत्तम माना जाता है।

स्मृति के अंग
Factors of Memory

स्मृति एक जटिल मानसिक प्रक्रिया है। वुडवर्थ (Woodworth) के अनुसार, स्मृति या स्मरण को पूर्ण क्रिया के निम्नलिखित 4 अंग, पद या खंड होते हैं : -

(1) सीखना: Learning - स्मृति का पहला अंग है— सीखना। हम जिस बात को याद रखना चाहते हैं, उसको हमें सबसे पहले सीखना पड़ता है।

(2) धारण Retention - स्मृति का दूसरा अंग है-धारण। इसका है— सीखी हुई बात को मस्तिष्क में संचित रखना। हम जो बात सीखते हैं, वह कुछ समय के बा हमारे अवेतन में चली जाती है। वहाँ वह निष्क्रिय दशा में रहती है। इस दशा में वह कितने समय तक साचत रह सकती है, यह व्यक्ति की धारण शक्ति पर विशेष निर्भर रहता है। 


(3) पुनः स्मरण Recall - स्मृति का तीसरा अंग है-पुनः स्मरण इसका अर्थ है-सीखी हुई बात को अचेतन मन से चेतन मन में लाना। जो बात जितनी अच्छी तरह धारण की गई है, उतनी ही सरलता से उसका पुनः स्मरण होता है। पर ऐसा सदैव नहीं होता है। भय, चिन्ता, शीघ्रता, परेशानी आदि पुनः स्मरण में बाधा उपस्थित करते हैं। बालक भय के कारण भली-भांति स्मरण पाठ को अच्छी तरह नहीं सुना पाता है। हम जल्दी में बहुत से काम करना भूल जाते हैं।

(4) पहिचान: Recognition स्मृति का चौथा अंग है—पहिचान। इसका अर्थ - है-फिर याद आने वाली बात में किसी प्रकार की गलती न करना। उदाहरणार्थ- हम पाँच वर्ष पूर्व मोहनलाल नामक व्यक्ति से दिल्ली में मिले थे। जब हम उससे फिर मिलते हैं, तब उसके सम्बन्ध में सब बातों का ठीक-ठीक पुनःस्मरण हो जाता है। हम यह जानने में किसी प्रकार की गलती नहीं करते हैं कि वह कौन है, उसका क्या नाम है, हम उससे कब, कहाँ और क्यों मिले थे ? आदि 


अच्छी स्मृति के लक्षण 

Marks of Good Memory


जीवन में वही व्यक्ति सफलता के शिखर पर शीघ्र पहुँचता है जिसकी स्मृति अच्छी होती है। ऐसा व्यक्ति भूतकाल की घटनाओं का स्मरण कर, वर्तमान में उसका लाभ उठाकर,

भविष्य को अच्छा बनाता है। स्टाउट (Stout) के अनुसार, अच्छी स्मृति में निम्नलिखित गुण, लक्षण या विशेषताएँ होती हैं

1. शीघ्र अधिगम Quick Learning- अच्छी स्मृति का पहला गुण है-जल्दी •सीखना या याद होना। जो व्यक्ति किसी बात को शीघ्र सीख लेता है, उसकी स्मृति अच्छी समझी जाती है। 

2. उत्तम धारण-शक्ति Good Retention अच्छी स्मृति का दूसरा गुण है— सीखी हुई बात को बिना दोहराए हुए देर तक स्मरण रखना। जो व्यक्ति एक बात को जितने अधिक समय तक मस्तिष्क में धारण' रख सकता है, उसकी स्मृति उतनी ही अधिक अच्छी होती है। 

3. शीघ्र पुनः स्मरण Quick Recall अच्छी स्मृति का तीसरा गुण है— सीखी हुई बात का शीघ्र याद आना। जिस व्यक्ति को सीखी हुई बात जितनी जल्दी याद आती है, उसकी स्मृति उतनी ही अधिक अच्छी होती है।

4. शीघ्र पहचान Quick Recognition- अच्छी स्मृति का चौथा गुण है— शीघ्र पहचान। किसी बात का शीघ्र पुनःस्मरण ही पर्याप्त नहीं है। इसके साथ यह भी आवश्यक है कि आप शीघ्र ही यह जान जायें कि आप जिस बात को स्मरण करना चाहते हैं, वही बात आपको याद आई है।

5. अनावश्यक बातों की विस्मृति : Forgetting Useless Things अच्छी स्मृति का पांचवां गुण है-अनावश्यक या व्यर्थ की बातों को भूल जाना। यदि ऐसा नहीं है, तो मस्तिष्क को व्यर्थ में बहुत-सी ऐसी बातें स्मरण रखनी पड़ती हैं, जिनकी भविष्य में कभी आवश्यकता नहीं पड़ती है। वकील मुकदमे के समय उससे सम्बन्धित सब बातों को याद रखता है, पर उसके समाप्त हो जाने पर उसमें से अनावश्यक बातों को भूल जाता है।

6. उपयोगिता Serviceableness अच्छी स्मृति का अन्तिम गुण है उपयोगिता इसका अभिप्राय यह है कि वही स्मृति अच्छी होती है, जो अवसर आने पर उपयोगी सिद्ध होती है। यदि परीक्षा देते समय बालक स्मरण की हुई सब बातों को लिखने में सफल हो जाता है, तो उसकी स्मृति उपयोगी है, अन्यथा नहीं।

स्मृति के नियम
Laws of Memory

बी. एन. झा. का मत है : "स्मृति के नियम वे दशाएँ हैं जो अनुभव के पुनःस्मरण में सहायता देती हैं।"

"Laws of memory are conditions which facilitate revival of past experience."-Jha 

झा (Jha) के इस कथन का अभिप्राय है कि हम स्मृति के नियमों को 'स्मरण में सहायता देने वाले नियम' कह सकते हैं। झा (Jha) के अनुसार, ये नियम 3 हैं; यथा :

1. आदत का नियम Law of Habit - इस नियम के अनुसार, जब हम किसी - विचार को बार-बार दोहराते हैं, तब हमारे मस्तिष्क में उसकी छाप इतनी गहरी हो जाती है कि हम में बिना विचारे उसको व्यक्त करने की आदत पड़ जाती है। उदाहरणार्थ, बहुत से लोगों को अद्धे, पौने, ढइये आदि के पहाड़े रटे रहते हैं। इनको बोलते समय उनको अपनी विचार-शक्ति का प्रयोग नहीं करना पड़ता है। बी. एन. झा (B. N. Jha, p. 282) के शब्दों में : "इस नियम को लागू करने के लिए केवल मौखिक पुनरावृत्ति बहुत काफी है। इसका सम्बन्ध यांत्रिक स्मृति (Rote Memory) से है।"

2. निरन्तरता का नियम Law of Perseveration - इस नियम के अनुसार, सीखने की प्रक्रिया में जो अनुभव विशेष रूप से स्पष्ट होते हैं, वे हमारे मस्तिष्क में कुछ समय तक निरन्तर आते रहते हैं। अतः हमें उनको स्मरण रखने के लिए किसी प्रकार का प्रयत्न नहीं करना पड़ता है। उदाहरणार्थ, किसी मधुर संगीत को सुनने या किसी दर्दनाक घटना को देखने के बाद हम लाख प्रयत्न करने पर भी उसको भूल नहीं पाते हैं। कालिन्स व ड्रेवर के शब्दों में :- "निरन्तरता का नियम तात्कालिक स्मृति में महत्त्वपूर्ण कार्य करता है।"

3. परस्पर सम्बन्ध का नियम : Law of Association- इस नियम को 'साहचर्य का नियम' भी कहते हैं। इस नियम के अनुसार, जब हम एक अनुभव को दूसरे अनुभव से सम्बन्धित कर देते हैं तब उनमें से किसी एक का स्मरण होने पर हमें दूसरे का स्वयं ही स्मरण हो जाता है; उदाहरणार्थ, जो बालक गांधीजी के जीवन से परिचित हैं, उनको सत्याग्रह के सिद्धान्तों या 'भारत छोड़ो' आंदोलन से सरलतापूर्वक परिचित कराया जा सकता है। गाँधीजी के जीवन से इन घटनाओं का सम्बन्ध होने के कारण बालकों को एक घटना का स्मरण होने पर दूसरी घटना अपने आप याद आ जाती है। स्टर्ट एवं ओकडन (Sturt & Oakden,) के अनुसार :-"एक तथ्य और दूसरे तथ्यों में जितने अधिक सम्बन्ध स्थापित किये जाते हैं, उतनी ही अधिक सरलता से उस तथ्य का स्मरण होता है।"के बाद हम लाख प्रयत्न करने पर भी उसको भूल नहीं पाते हैं। कालिन्स व ड्रेवर के शब्दों में :- "निरन्तरता का नियम तात्कालिक स्मृति में महत्त्वपूर्ण कार्य करता है।"

4. विचार - साहचर्य का सिद्धान्त : Principle of Association of Ideas - विचार- साहचर्य' का सिद्धान्त अति प्रसिद्ध है। इसका अर्थ है-दो या अधिक विचारों का इस प्रकार सम्बन्ध कि उनमें से एक की याद आने पर दूसरे की स्वयं याद आना। उदाहरणार्थ, दूध फैल जाने पर बालक रोता है। वह पहले कभी दूध फैला चुका है जिसकी वजह से उस पर डाँट पड़ चुकी है और वह रो चुका है। अतः जब दुबारा दूध फैलता है, तब उसे डाँट पड़ने की अपने-आप याद आ जाती है और वह रोने लगता है। इस सिद्धान्त का स्पष्टीकरण करते हुए भाटिया ने लिखा है :-"विचार-साहचर्य एक प्रसिद्ध सिद्धान्त है, जिसके अनुसार एक विचार किसी दूसरे विचार या विचारों का, जिनका हम पहले अनुभव कर चुके हैं, स्मरण दिलाता है।"

स्मरण करने की विधियाँ
Methods of Memorizing 

मनोवैज्ञानिकों ने स्मरण करने की ऐसी अनेक विधियों की खोज की है, जिनका प्रयोग करने से समय की बचत होती है। इनमें से अधिक महत्त्वपूर्ण निम्नांकित है :

1. पूर्ण विधि : Whole Method - इस विधि में याद किए जाने वाले पूरे पाठ को आरम्भ से अन्त तक बार-बार पढ़ा जाता है। यह विधि केवल छोटे और सरल पाठों या कविताओं के ही लिए उपयुक्त है।

2. खण्ड विधि : Part Method - इस विधि में याद किए जाने वाले पाठ को कई खण्डों या भागों में बाँट दिया जाता है। इसके बाद उन खण्डों को एक-एक करके याद किया जाता है। इस विधि का दोष यह है कि आगे के खण्ड याद होते जाते हैं और पीछे के भूलते जाते हैं। 

3. मिश्रित विधि : Mixed Method - इस विधि में पूर्ण और खण्ड विधियों का साथ-साथ प्रयोग किया जाता है। इसमें पहले पूरे पाठ को आरम्भ से अन्त तक पढ़ा जाता है। फिर उसे खण्डों में बाँटकर, उनको याद किया जाता है। अन्त में, पूरे पाठ को आरम्भ से अन्त तक फिर पढ़ा जाता है। यह विधि कुछ सीमा तक पूर्ण और खंड विधियों से अच्छी है।

4. प्रगतिशील विधि : Progressive Method - इस विधि में पाठ को अनेक खण्डों में विभाजित कर लिया जाता है। सर्वप्रथम, पहले खण्ड को याद किया जाता है, उसके बाद पहले और दूसरे खण्ड को साथ-साथ याद किया जाता है। फिर पहले, दूसरे और तीसरे खण्ड को याद किया जाता है। इसी प्रकार, जैसे-जैसे स्मरण करने के कार्य में प्रगति होती जाती है, वैसे-वैसे एक नया खण्ड जोड़ दिया जाता है। इस विधि का दोष यह है कि इसमें पहला खण्ड सबसे अधिक स्मरण किया जाता है और उसके बाद के क्रमशः कम ।

5. अन्तरयुक्त विधि : Spaced Method - इस विधि में पाठ को थोड़े-थोड़े अन्तर या अनय के बाद याद किया जाता है। यह अन्तर एक मिनट का भी हो सकता है और चौबीस घण्टे का भी। यह विधि 'स्थायी स्मृति' (Permanent Memory) के लिए अति उत्तम है। वुडवर्थ का मत है : अन्तरयुक्त विधि से स्मरण करने में सर्वोनम परिणाम होता है ।

6. अन्तरहीन विधि :  Unspaced Method - इस विधि में पाठ को स्मरण करने के के लिए समय में अन्तर नहीं किया जाता है। यह विधि 'अन्तरयुक्त विधि' की उल्टी है और उससे अधिक प्रभावशाली है।

7. सक्रिय विधि : Active Method - इस विधि में स्मरण किये जाने वाले पाठ को बोल-बोलकर याद किया जाता है। यह विधि छोटे बच्चों के लिए अच्छी है, क्योंकि इससे हैं उनका उच्चारण ठीक हो जाता है।

8. निष्क्रिय विधि : Passive Method - यह विधि, 'सक्रिय विधि' की उल्टी है। इसमें स्मरण किए जाने वाले पाठ को बिना बोले मन-ही-मन याद किया जाता है। यह विधि अधिक आयु वाले बालकों के लिए अच्छी है।

9. स्वर विधि : Recitation Method - इस विधि में याद किए जाने वाले पाठ को लय से पढ़ा जाता है। यह विधि छोटे बच्चों के लिए उपयोगी है, क्योंकि उनको गा-गाकर पढ़ने में आनन्द आता है।

10. रटने की विधि : Method of Cramming - इस विधि में पूरे पाठ को रट लिया जाता है। इस विधि का दोष बताते हुए जेम्स ने लिखा है :- इस विधि से जो बातें स्मरण कर ली जाती हैं, वे अधिकांश रूप में शीघ्र ही विस्मृत हो जाती हैं।"

11. निरीक्षण विधि : Method of Observing - इस विधि में याद किए जाने वाले पाठ का पहले भली प्रकार निरीक्षण या अवलोकन कर लिया जाता है। यदि बालक को संख्याओं की कोई सूची याद करनी है, तो वह पहले इस बात का निरीक्षण कर ले कि ये निश्चित क्रम में हैं। इस विधि के उचित प्रयोग के विषय में वुडवर्थ  ने लिखा है :- "पाठ को एक बार पढ़ने के बाद उसकी रूपरेखा को और दूसरी कर उसकी विषय-वस्तु को विस्तार से याद करना चाहिए।"

12. क्रिया-विधि : Method of Learning by Doing- इस विधि में स्मरण की जाने वाली बात को साथ-साथ किया भी जाता है। यह विधि बालक की अनेक ज्ञानेन्द्रियों कोएक साथ सक्रिय रखती है। अतः उसे पाठ सरलता और शीघ्रता से स्मरण हो जाता है।

13. विचार- साहचर्य की विधि : Method of Association of Ideas - इस विधि में स्मरण की जाने वाली बातों का ज्ञात बातों से भिन्न प्रकार से सम्बन्ध स्थापित कर लिया जाता है। ऐसा करने से स्मरण शीघ्रता से होता है और स्मरण की हुई बात बहुत समय तक याद रहती है। जेम्स  का मत है :-"विचार, साहचर्य उत्तम चितर द्वारा उत्तम स्मरण की विधि है।"

14. साभिप्राय स्मरण विधि : Method of Intentional Memorizing - पाठ को याद करने के लिए चाहे जिस विधि का प्रयोग किया जाये, पर यदि बालक उसको याद करने संकल्प या निश्चय नहीं करता है, तो उसको पूर्ण सफलता नहीं मिलती है। वुडवर्थ ने ठीक है लिखा है :-"यदि कोई भी बात याद की जानी है, तो याद करने का निश्वय आवश्यक है। The will to learn is necessary, if any learning is to accomplished."--Woodworth 

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