April 14, 2023

विस्मृति (Forgetting) - विस्मृति का अर्थ व परिभाषा, विस्मृति के प्रकार, विस्मृति के कारण, विस्मृति कम करने के उपाय, शिक्षा में विस्मृति का महत्त्व

विस्मृति (Forgetting)

जब हम कोई नई बात सीखते हैं या नया अनुभव प्राप्त करते हैं, तब हमारे मस्तिष्क में उसका चित्र अंकित हो जाता है। हम अपनी स्मृति की सहायता से उस अनुभव को अपनी चेतना में फिर लाकर उसका स्मरण कर सकते हैं। पर कभी-कभी, हम ऐसा करने में सफल नहीं होते हैं। हमारी यही क्रिया- 'विस्मृति' है। दूसरे शब्दों में, “भूतकाल के किसी अनुभव को वर्तमान चेतना में लाने की असफलता को 'विस्मृति' कहते हैं।"

विस्मृति का अर्थ व परिभाषा (Meaning & Definition of Forgetting)

हम 'विस्मृति' के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए कुछ परिभाषाएँ दे रहे हैं-

1.मन के अनुसार –"सीखी हुई बात को स्मरण रखने या पुनः स्मरण करने की असफलता को विस्मृति कहते हैं।"

2. ड्रेवर के अनुसार–"विस्मृति का अर्थ है-किसी समय प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुभव का स्मरण करने या पहले सीखे हुए किसी कार्य को करने में असफलता।"

विस्मृति के प्रकार (Kinds of Forgetting)

विस्मृति दो प्रकार की होती है-

1. सक्रिय विस्मृति (Active Forgetting):- इस विस्मृति का कारण व्यक्ति है। वह स्वयं किसी बात को भूलने का प्रयत्न करके उसे भुला देता है। 

2. निष्क्रिय विस्मृति (Passive Forgetting):- इस विस्मृति का कारण व्यक्ति नहीं है। वह प्रयास न करने पर भी किसी बात को स्वयं भूल जाता है।

विस्मृति के कारण (Causes of Forgetting)

'विस्मृति' या 'विस्मरण' के कारणों को हम दो भागों में विभक्त कर सकते है-

(अ) सैद्धान्तिक कारण (Theoretical Causes):- बाधा, दमन और अनभ्यास के सिद्धान्त।

(ब) सामान्य कारण (General Causes):- समय का प्रभाव, रुचि का अभाव, विषय की मात्रा इत्यादि।


1. बाधा का सिद्धान्त (Theory of Interference):- इस सिद्धान्त के अनुसार, यदि हम एक पाठ को याद करने के बाद दूसरा पाठ याद करने लगते हैं, जो हमारे मस्तिष्क में पहले पाठ के स्मृति-चिन्हों (Memory Traces) में बाधा पड़ती है। फलस्वरूप वे निर्बल होते चले जाते हैं और हम पहले पाठ को भूल जाते हैं। 

2. दमन का सिद्धान्त (Theory of Repression):- इस सिद्धान्त के अनुसार, हम दुःखद और अपमानजनक घटनाओं को याद नहीं रखना चाहते हैं। अतः हम उनका दमन करते हैं। परिणामतः वे हमारे अचेतन मन में चली जाती हैं और हम उनको भूल जाते हैं। 

3. अनभ्यास का सिद्धान्त (Theory of Disuse)- थार्नडाइक एवं एबिंगहॉस (Thorndike and Ebbinghaus) ने विस्मृति का कारण अभ्यास का अभाव बताया है। यदि हम सीखी हुई बात का बार-बार अभ्यास करते हैं, तो हम उसको भूल जाते हैं। 

4. समय का प्रभाव (Effect of Time):- हैरिस (Harris) के अनुसार : सीखी हुई बात पर समय का प्रभाव पड़ता है। अधिक समय पहले सीखी हुई बात अधिक और कम समय पहले सीखी हुई बात कम भूलती है। 

5. रुचि, ध्यान व इच्छा का अभाव (Lack of Interest, Attention Will):- जिस कार्य को हम जितनी कम रुचि, ध्यान इच्छा से सीखते हैं, उतनी ही जल्दी हम उसको भूलते हैं। स्टाउट के अनुसार :- "जिन बातों के प्रति हमारा ध्यान रहता है, उन्हें हम स्मरण रखते हैं।" 

6. विषय का स्वरूप (Nature of Material):- हमें सरल, सार्थक और लाभप्रद बातें बहुत समय तक स्मरण रहती हैं। इसके विपरीत, हम कठिन, निरर्थक और हानिप्रद बातों को शीघ्र ही भूल जाते हैं। 

7. विषय की मात्रा (Amount of Material)- विस्मरण, विषय की मात्रा के कारण भी होता है। हम छोटे विषय को देर में और लम्बे विषय को जल्दी भूलते हैं। 

8. सीखने में कमी (Underlearning) - हम कम सीखी हुई बात को शीघ्र और भली प्रकार सीखी हुई बात को विलम्ब से भूलते हैं। 

9. सीखने की दोषपूर्ण विधि  (Defective Method of Learning) - यदि शिक्षक, बालकों को सीखने के लिए उचित विधियों का प्रयोग न करके दोषपूर्ण विधियों का प्रयोग करता है, तो वे उसको थोड़े समय में भूल जाते हैं। 

10. मानसिक आघात (Mental Injury) - सिर में आघात या चोट लगने से स्नायुकोष्ठ छिन्न-भिन्न हो जाते हैं। अतः उन पर बने स्मृति-चिन्ह अस्त-व्यस्त हो जाते हैं। फलस्वरूप, व्यक्ति स्मरण की हुई बातों को भूल जाता है। वह कम चोट लगने से कम और अधिक चोट लगने से अधिक भूलता है। 

11. मानसिक द्वन्द्व (Mental Conflict)- मानसिक द्वन्द्व के कारण मस्तिष्क में किसी-न-किसी प्रकार की परेशानी उत्पन्न हो जाती है। यह परेशानी, विस्मृति का कारण बनती है। 

12. मानसिक रोग  (Mental Disease) - कुछ मानसिक रोग ऐसे हैं, जो स्मरण शक्ति को निर्बल बना देते हैं, जिसके फलस्वरूप विस्मरण की मात्रा में वृद्धि हो जाती है। इस प्रकार का एक मानसिक रोग-दुःसाध्य उन्माद (Psychosis) है। 

13. मादक वस्तुओं का प्रयोग (Use of Intoxicants)- मादक वस्तुओं का प्रयोग मानसिक शक्ति को क्षीण कर देता है। अतः विस्मरण एक स्वाभाविक बात हो जाती है। 

14. स्मरण न करने की इच्छा (Lack of Desire to Remember) - यदि हम किसी बात को स्मरण नहीं रखना चाहते हैं, तो हम उसे अवश्य भूल जाते हैं। "We forget much that we do not want to remember.” -Sturt & Onkden

15. संवेगात्मक असन्तुलन  (Emotional Disturbance) - किसी संवेग के उत्तेजित होने पर व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक दशा में असाधारण परिवर्तन हो जाता है। उस दशा में उसे पिछली बातों का स्मरण करना कठिन हो जाता है। बालक, भय के कारण भली प्रकार याद पाठ को भी भूल जाता है।

विस्मृति कम करने के उपाय  (Ways of Minimising Forgetfulness)

 किसी बात की कम विस्मृति का अर्थ है- उसे अधिक समय तक स्मरण रखने या स्मृति में धारण रखने (Retention) की क्षमता न होना। अतः विस्मृति को कम करने या धारण-शक्ति में उन्नति करने के लिए निम्नांकित उपायों को प्रयोग में लाया जा सकता है। 

1. पाठ की विषय-वस्तु (Content Matter)- कोलेसनिक का मत है - पाठ की विषय-वस्तु अर्थपूर्ण, क्रमबद्ध और बालक की मानसिक योग्यता के अनुरूप होनी चाहिए, क्योंकि इस प्रकार की विषय-वस्तु की विस्मृति की गति और मात्रा बहुत कम होती है। इसके अतिरिक्त, पाठ में आवश्यकता से अधिक तथ्य, तिथियों और विस्तृत सूचनाएं नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इनकी विस्मृति की गति और मात्रा बहुत तीव्र होती है। 

2. पूरे पाठ का स्मरण  (Memorising the Whole Lesson) -- बालक को पूरा पाठ सोच-समझकर याद करना चाहिए। जब तक उसे पूरा पाठ याद न हो जाय, तब तक उसे स्मरण करने का कार्य स्थगित नहीं करना चाहिए। साथ ही, उसे पाठ को आंशिक रूप से स्मरण नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से पाठ का भूल जाना आवश्यक है। 

3. पाठ का अधिक स्मरण (More Learning of the Lesson)- पाठ स्मरण हो जाने के बाद भी बालक को उसे कुछ समय तक और स्मरण करना चाहिए। इसका कारण बताते हुए नन ने लिखा है :-"पाठ स्मरण हो जाने के बाद जितना अधिक स्मरण किया जाता है, उतना ही अधिक वह स्मृति में धारण रहता है।" 

4. बालक का स्मरण करने में ध्यान (Attention in Memorising)-पाठ को स्मरण करते समय बालक को अपना पूर्ण ध्यान उस पर केन्द्रित रखना चाहिए। वुडवर्क के शब्दों में इसका कारण यह है :- "सीखने वाला जितना अधिक ध्यान देता है, उतनी ही जल्दी वह सीखता है और बाद में उतनी ही अधिक देर में वह भूलता है।" 

5. अधिक समय तक स्मरण रखने का विचार (Decision for Long Retention) - बालक को पाठ यह विचार करके स्मरण करना चाहिए कि उसे उसको बहुत समय तक याद रखना है। तभी वह उसे शीघ्र भूलने की सम्भावना का अन्त कर सकता है। 

6. विचार- साहचर्य के नियमों का पालन (Use of Association Laws)- पाठ याद करते समय बालक को विचार-सहचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए। उसे नवीन तथ्यों और घटनाओं का उन तथ्यों और घटनाओं से सम्बन्ध स्थापित करना चाहिए, जिनको वह जानता है। ऐसा करने से वह सम्भवतः पाठ का कभी विस्मरण नहीं करेगा। 

7. पूर्ण व अन्तरयुक्त विधियों का प्रयोग (Use of Spaced and Non-spaced Methods) – बालक को पाठ याद करने के लिए पूर्ण (Whole) और अन्तरयुक्त (Spaced) विधियों का प्रयोग करना चाहिए। इसका कारण यह है कि खण्ड (Part) और अन्तरहीन (Unspaced) विधियों की अपेक्षा इन विधियों से याद किए गए पाठ का विस्मरण कम होता है। 

8. सस्वर वाचन (Loud Reading) - बालक को पाठ बोल-बोलकर स्मरण करना  चाहिए। वुडवर्थ के शब्दों में इसका कारण यह है :- सक्रिय सस्वर वाचन के पश्चात् विस्मरण की गति धीमी होती है।" 

9. स्मरण के बाद विश्राम (Rest after Memorizing) - बालक को पाठ स्मरण के उपरान्त कुछ समय तक विश्राम अवश्य करना चाहिए, ताकि पाठ के स्मृति-चिन्ह उसके मस्तिष्क में स्पष्ट रूप से अंकित हो जायें।

10. पाठ की पुनरावृत्ति (Repetition)- पाठ को स्मरण करने के बाद बालक को उसे थोड़े-थोड़े समय के उपरान्त दोहराते रहना चाहिए। पाठ की जितनी ही अधिक पुनरावृत्ति की जाती है, उतनी ही अधिक देर से वह भूलता है "Relearning improves the memory traces and reduces forgetting."- Woodworth 

11. स्मरण करने के नियमों का प्रयोग (Use of Laws of Memory) - बालक को विस्मरण कम करने के लिए स्मरण करने की मितव्ययी विधियों का प्रयोग करना चाहिए। 

शिक्षा में विस्मृति का महत्त्व (Importance of Forgetting in Education)

कॉलिन्स व ड्रेवर ने लिखा है: "यह सत्य है कि विस्मरण, स्मरण के विपरीत है, पर व्यावहारिक दृष्टिकोण से विस्मरण लगभग उतना ही लाभप्रद है, जितना कि स्मरण।" "It is true that forgetting is the opposite of remembering, but from a practical point of view forgetting is almost as useful as remembering. "

1. क्षणिक महत्त्व की बातों को भुलाना

2. समान रूप से अनुपयोगी बातों का भुलाना 

3. अस्त-व्यस्तता से बचाव 

4. दुःखद अनुभवों को भूलना

5. भाषा शिक्षण में उपयोगी

6. सीमित क्षेत्र का उपयोग-बालक का स्मृति

7. पुरानी बातों को भूलकर नई बातों को सीखना 
 
 हम कह सकते हैं कि बालक की शिक्षा में विस्मरण का स्थान अति महत्त्वपूर्ण है। वह विस्मरण करके ही शिक्षा सम्बन्धी नई बातों को सीख सकता है। ठीक लिखा है : "स्मरण करने की एक शर्त यह है कि हमें विस्मरण करना चाहिए।" "One condition of remembering is that we should forget."-M. Ribot. शिक्षक को चाहिये कि वह छात्रों में नवीन चीजों को सीखने पर बल दे। उन्हें संतुलित रूप से सिखाये । संवेगात्मक संतुलन बनाये रखे।


शिक्षक को चाहिये कि वह छात्रों में नवीन चीजों को सीखने पर बल दे। उन्हें संतुलित रूप से सिखाये संवेगात्मक संतुलन बनाये रखे। 


Some important questions:

1. विस्मरण के कारणों का वर्णन कीजिए। बालकों में विस्मरण को कम करने के लिए किन उपायों का प्रयोग किया जाना चाहिए ?

Describe the causes of forgetting. What methods should be used to minimise forgetfulness in children?

 2. शिक्षा में विस्मरण के कार्य और महत्त्व पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।

Write a short essay on the function and importance of forgetting in education.

3. कक्षा में सीखे गये पाठ को स्मृति में धारण करने में अधिक दक्षता प्राप्त करने की कौन-सी विधियाँ हैं ?
What are the methods of acquiring great perfection in retaining in memory the lesson learnt in the class.

4. विस्मृति के कौन-कौन-से कारण हैं? एक शिक्षार्थी को कौन-सी विधियाँ अपनानी चाहिए, जिनसे उसे अधिक अच्छा याद रह सके ? 
What are the causes of forgetting? What methods should a learner adopt in order to ensure better retention?

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