नियन्त्रण (Controlling): अर्थ एवं परिभाषा,कार्य,नियन्त्रण में सावधानियाँ

 नियन्त्रण: अर्थ एवं परिभाषा


नियन्त्रण: अर्थ एवं परिभाषा (Controlling : Meaning and Definition)


नियन्त्रण से अभिप्राय उस शक्ति से है जो प्रशासन सम्बन्धी कार्य-प्रणालियों, गतिविधियों, कार्य तथा योजनाओं को अपने वश में रखती है।

प्रशासन यह जानने का प्रयत्न करता है कि संगठन का कार्य योजना के अनुसार हो रहा है या नहीं और यदि नहीं हो रहा है तो क्यों नहीं हो रहा है, इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं? नियन्त्रण शक्ति के बिना सबका हित सम्भव नहीं है और कार्य सफलता भी संदिग्ध रहती है। नियन्त्रण है द्वारा ही कीमतें कम रहती हैं, उत्पादन में वृद्धि होती है, कार्यकर्त्ताओं का विकास होता है और गुणात्मकता को बनाए रखने में सफलता मिलती है। शैक्षिक क्षेत्र में मानवीय और भौतिक दोनों प्रकार के साधनों के नियन्त्रण के अभाव में शिक्षा दिशाहीन हो सकती है, लक्ष्यहीन हो सकती है। इस प्रकार किसी संस्था की गतिविधियाँ, उन्नति हेतु कार्य और कार्यकर्त्ताओं की कार्यक्षमता का मापन नियन्त्रण की प्रक्रिया द्वारा ही सम्भव है। नियन्त्रण द्वारा किसी भी व्यक्ति के अनुचित व्यवहार को रोका जा सकता है। नियन्त्रण को विभिन्न विद्वानों ने निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया है-


मैरी कशिंग नील्स (Marry Cushing Niles) के अनुसार- "नियन्त्रण संगठन की निर्देशित क्रियान्वयन, निश्चित उद्देश्यों अथवा एक समूह के प्रति एक सन्तुलन बनाना है।" Council is to make balance toward directed activities of the organization toward a definite aim or a group of them."

कुण्टज और ओ'डोनेल ( Koontz and O'Donell ) के अनुसार- "नियन्त्रण का प्रबन्धकीय कार्य कार्यकर्त्ताओं के निष्पादन का मापन और उसमें सुधार करना है और यह सुनिश्चित करना है कि लक्ष्य और योजना इसकी प्राप्ति में पूर्ण है।" "The managerial function of control is the measurement and correction of the performance of subordinates in order to make sure that the objective and plan devised to attain them are accomplished."

जे०बी० सीयर्स का मत है— कोई भी जब तक सम्बन्धित व्यक्तियों, वस्तुओं अथवा लक्ष्यों पर भली प्रकार नियन्त्रण न कर ले तब तक यह किसी क्रिया के सम्बन्ध में निर्देशन नहीं दे सकता।"


नियन्त्रण सम्बन्धी कार्य (Functions Related to Controlling)


नियन्त्रण प्रशासन का प्रमुख कार्य है। नियन्त्रण के अभाव में कार्ययोजना के अनुरूप कार्य नहीं चल पाता है, अनुशासनहीनता बढ़ जाती है, गुणात्मकता में कमी आ जाती है और उत्पादन का स्तर गिर जाता है। इस प्रकार संगठन के विभिन्न भागों, कार्यों एवं कर्मचारियों को नियन्त्रित करना आवश्यक है। प्रशासन के नियन्त्रण सम्बन्धी कार्यों को हम निम्नलिखित रूप में समझ सकते हैं-


अनुशासनात्मक कार्य- प्रगति का आधार अनुशासन है। अनुशासन ऐसे वातावरण का निर्माण करता है जिसमें रहकर कार्यकर्त्ता उत्साहित होता है और उद्देश्य प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है। अतः अनुशासन बनाए रखने के लिए नियन्त्रण आवश्यक है। किसी भी संस्था में अनुशासन सथापना हेतु नियन्त्रण की आवश्यकता होती है। नियन्त्रण से ईमानदारी को बढ़ावा मिलता है, बेईमानी में कमी आती है और अनुचित व्यवहार को रोका जा सकता है। 


(2) समन्वय सम्बन्धी कार्य - समन्वय का आधार नियन्त्रण है। नियन्त्रण से संगठन के विभिन्न कार्यों में विभिन्न क्रियाओं में समन्वय स्थापित होता है। समन्वय से प्रेम, सहयोग, निष्ठा और आपसी ताल-मेल में वृद्ध वृद्धि होती है और आपस में बढ़ने वाले हर प्रकार के तनाव को कम करके उत्पादन को एक नई दिशा मिलती है।


(3) उत्तरदायित्व वितरण का सही ज्ञान - संगठन में कार्य और उत्तरदायित्व का वितरण सही है अथवा न ही इसका ज्ञान नियन्त्रण द्वारा सुगमता से हो जाता है। अधिकृतियों द्वारा निर्धारित उत्तरदायित्व का भली प्रकार वितरण और प्रशासन (Execution) का उचित ज्ञान नियन्त्रण प्रक्रिया द्वारा सम्भव है। इसके साथ से कार्यकर्त्ता आपने उत्तरदायित्व का निर्वाह किस प्रकार करता है, कितना करता है, कितनी निष्ठा से करता है, यह सब जानकारी सफल नियन्त्रण से सम्भव है। इस ज्ञान से कार्यकर्त्ता की कमी ही दूर करने में सहायता मिलती है और उसमें समय रहते सुधार किया जा सकता है।


(4) सन्तुलन सम्बन्धी कार्य- नियन्त्रण का कार्य सन्तुलन स्थापित करना है। यह सन्तुलन विभिन्न क्रिया-कलाप और उद्देश्यों के प्रति निश्चित करना होता है। मानवीय साधनों में संतुलन की स्थापना नियन्त्रण द्वारा सम्भव है और वह सन्तुलन उत्पादन में वृद्धि के लिए प्रेरणास्रोत बनता है। अतः प्रत्येक कार्य को चैक (Check) करके जोखिम से सुरक्षा प्रदान करना नियन्त्रण का कार्य है।


(5) भावी योजना निर्माण सम्बन्धी कार्य - नियन्त्रण भविष्य के लिए बनने वाली योजनाओं के लिए आधार प्रदान करता है। संगठन की सूचनाएँ और तथ्यों के संग्रह में नियन्त्रण द्वारा सहायता मिलती है। इन सूचनाओं के आधार पर नई योजना का निर्माण, भविष्य के लिए लाभप्रद हो सकता है। अतः भावी योजना निर्माण में नियन्त्रण महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।


(6) निष्पादन मापन एवं उसमें सुधार सम्बन्धी कार्य - नियन्त्रण का महत्त्वपूर्ण कार्य कार्यकर्ताओं क निष्पादन (Achievement) का मापन करना है और उसमें आवश्यकता के अनुरूप सुधार भी करना है। नियन्त्रण के अभाव में कार्यकर्त्ता निष्ठापूर्वक कार्य सम्पादन नहीं करता है। फलस्वरूप उद्देश्य की प्राप्ति में कठिनाई आती है। अतः उद्देश्य प्राप्ति हेतु नियन्त्रण द्वारा उपलब्धि का माप किया जाता है और कमी होने पर उसे इस योग्य बनाया जाता है कि यह निष्ठापूर्वक कार्य कर सके।


(7) अपादन में वृद्धि सम्बन्धी कार्य - नियन्त्रण उत्पादन में वृद्धि में सहायता करता है। नियन्त्र को पक्रिया द्वारा कोई भी व्यक्ति गलत कार्य नहीं कर पाता है और किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं पनप पा है। फलस्वरूप कम कीमत पर अधिक उत्पादन सम्भव हो पाता है। नियन्त्रण कार्यकर्त्ताओं की कार्यक्षमता है और कीमतों को काबू में रखता है। अतः उत्पादन वृद्धि के साथ वस्तु की गुणात्मकता भी बनी रहती है।


इस प्रकार नियन्त्रण विविध कार्यों के माध्यम से संगठन को मजबूत बनाता है और संगठन में आने वाली कठिनाई को दूर करता है। नियन्त्रण से कार्यकर्ताओं का विकास होता है और यह पता चलता है कि निर्धारित उद्देश्यों और निर्धारित योजनानुसार कार्य सम्पन्न हो रहा है या नहीं। अतः नियन्त्रण प्रशासन का एक ऐसा शस्त्र है तो संगठन को व्यवस्थित रखता है, कार्यकर्त्ताओं पर नियन्त्रण रखता है और उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि करता है जिससे उत्पादन वृद्धि की ओर अग्रसर होता है।

नियन्त्रण में सावधानियाँ (Carefulness in Controlling)


नियन्त्रण प्रशासन का महत्त्वपूर्ण कार्य है, अतः नियन्त्रण करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान रखना चाहिए-

 (i) शैक्षिक प्रशासन में प्रत्यक्ष नियन्त्रण हेतु कार्य-विधियों, कार्यकर्त्ताओं और वातावरण आदि पर निरन्तर निरीक्षण और पर्यवेक्षण करते रहना चाहिए।

(ii) मूल्यांकन विधियों में सुधार करके प्रशासन में अप्रत्यक्ष रूप से नियन्त्रण रखना चाहिए। 

(iii) प्रशासन में नियन्त्रण रखने के लिए पुरस्कार और दण्ड की व्यवस्था होनी चाहिए।

 (iv) शैक्षिक विकास को दृष्टिगत रखते हुए नियन्त्रण सम्बन्धी नियम, नीतियाँ, विधियाँ, रीतियाँ निर्धारित की जानी चाहिए।

(v) नियन्त्रण के लक्ष्य पूर्वनिर्धारित होने चाहिए और उनमें आवश्यकता के अनुरूप परिवर्तन किए  जाने चाहिए।

(vi) योजना की क्रियान्विति के प्रारम्भ और अन्त में नियन्त्रण शक्ति का कठोरता से पालन होना चाहिए। 

(vii) योजना के पूर्ण होने तक किसी भी प्रकार का ढीलापन नहीं आना चाहिए।


इस प्रकार कहा जा सकता है कि प्रशासन के मूलभूत कार्य-नियोजन, संगठन, संचालन और नियन्त्रण हैं, इनमें योजना की सफलता उपलब्ध साधन स्रोतों का अधिकतम उपयोग है। संगठन विविध कार्यों द्वारा संसाधनों का उपयोग करता है, उनका समन्वय करता है और तकनीकी विकास का अधिकतम अधिकतम लाभ प्राप्त करता है, इससे नियन्त्रण में सुविधा रहती है। संचालन सम्पूर्ण तन्त्र को शक्ति देता है, गति देता है, अनुशासन देता है और उत्पादन देता है तथा बिना पूर्वग्रह के निष्ठापूर्वक कार्य किया जाता है। नियन्त्रण संगठन को मजबूत बनाता है, आने वाले बाधाओं को दूर करता है और निर्धारित समय पर कार्य सफलता की सूचना देता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्रशासन अपने मूलभूत कार्यों के माध्यम से उत्पादन वृद्धि के साथ-साथ वस्तु गुणात्मकता को भी बनाए रखता है।


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