नियोजन (Planning)
नियोजन का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Planning)
नियोजन से अभिप्राय एक ऐसी सुनिश्चित योजना रूपरेखा बनाने से है, जिसके द्वारा उददेशयो की प्राप्ति की जा सके, कार्यप्रणाली को बिना किसी बाधा के आगे बढ़ाया जा सके, सहयोगी व्यक्तियों एवं परिस्थितियों का लाभ उठाया जा सके तथा सहायक सामग्री और उपलब्ध वस्तुओं का समुचित उपयोग किया जा सके। इस प्रकार योजना का अर्थ विभिन्न विकल्पों में से सबसे अच्छे को चुनना है। ये विकल्प उद्देश्य, प्रक्रिया, नीतियाँ और कार्यक्रम आदि हो सकते हैं। यह प्रगतिशील प्रक्रिया है जो वर्तमान के साथ भविष्य को भी देखती है। भविष्य के वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास नई खोजें एवं सामाजिक तथा राजनीतिक परिवर्तन को दृष्टिगत रखते हुए योजना का निर्माण लचीला होना चाहिए। नियोजन को विभिन्न विद्वानों ने परिभाषित किया है।
1- कुण्ट्ज और ओ'डोनेल – "नियोजन एक मानसिक क्रिया है। यह एक विशेष तरीके से कार्य करने का सचेतन निश्चयात्मक प्रयास है।"
"Planning is a mental activity, it is a concious determination of doing work in particular way. - Koontz and O'Donnel
2- जेम्स एल० लुण्डी – "नियोजन का अर्थ है कि क्या करना है, कहाँ करना है, कैसेकरना है, कौन करेगा और इसके परिणाम का मूल्यांकन कैसे होगा?"
"The meaning of planning is to determine what is to be done, where is to be done, how is to be done, who is to do it and how the results are to be evaluated" - James L Lundi
3- जे० बी० सीयर्स – "नियोजन में प्रशासन का सीधा- सादा अर्थ हैं किसी काम को करने के लिए या किसी समस्या को हल करने के लिए निर्णय लेने हेतु तैयार हो जाओ।"
अतः किसी भी कार्य को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिये सुनिश्चित योजना बनाना आवश्यक है।
जॉन मिलर (John D. Miller) के शब्दों में, "नियोजन यानि किसी काम को करने के लिए बुद्धिपूर्वक तैयारी अर्थात् कार्य को कब और कैसे सम्पादित किया जाए।
नियोजन सम्बन्धी कार्य
(Functions Related to Planning)
नियोजन प्रशासन का प्रथम आधारभूत कार्य है। नियोजन के अभाव में उद्देश्य प्राप्ति कठिन कार्य है और उपलब्ध साधानों का अधिकतम उपयोग भी योजना निर्माण करके ही प्राप्त किया जा सकता है। अतः प्रशासन योजना निर्माण और उसकी क्रियान्वित के माध्यम से निम्नलिखित कार्यों को सफलतापूर्वक सम्पन्न कर सकता है---
(1) समन्वय स्थापित करना— योजना निर्माण करके प्रशासन विभिन्न कार्यों में समन्वय स्थापित सकता है और उन पर नियन्त्रण सुगमतापूर्वक कर सकता है। इससे प्रबन्धकीय कार्य क्षमता में वृद्धि होगी।
(2) उद्देश्य प्राप्त करना— शैक्षिक नियोजन का निर्माण करके प्रशासन निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति कर सकता है और उपलब्ध साधन व सामग्री का अधिकतम उपयोग कर सकता है। इससे प्रत्येक कार्यकर्ता को उसकी योग्यता व क्षमता के अनुरूप कार्य मिलने से प्रशासन आसानी से कार्य कर सकेगा।
(3) आवश्यकता की पूर्ति करना — योजना छोटी हो या बड़ी इसके निर्माण से आवश्यकता और लक्ष्य दोनों की पूर्ति होती है। अतः प्रशासन को इसके निर्माण में वर्तमान, भूत और भविष्य का ध्यान रखना चाहिए ताकि छोटी योजना को भी आवश्यकतानुसार बड़ा बनाया जा सके।
(4) विभिन्न अनुभवों का ज्ञान – योजना निर्माण से प्रशासन को विभिन्न परिस्थितियों, कार्यो कार्य-विधियों, कार्यकर्ता और उसकी योग्यता एवं अनुभवों का पता चलता है। इसका उपयोग वह कुशलता पूर्व करके लाभान्वित हो सकता है। इससे प्रभावी नियन्त्रण की स्थापना सम्भव होगी।
(5) जोखिम कम करना – योजना निर्माण से प्रशासन उस अनिश्चितता और जोखिम को ककम रता है, जो उसके निर्माण के बिना होती है। बिना योजना के कार्य अस्पष्टता बनी रहती है।
(6) प्रशासन को प्रेरित करना – योजना निर्माण प्रशासन के उद्देश्य प्राप्ति के लिए प्रेरित कर है। यह भविष्य की सम्भावनाओं को बल प्रदान करता है और अधिकरियों को अपने कर्तव्य व उत्तरदायित्व का ज्ञान भी कराता है।
(7) अतार्किक निर्णय पर रोक – योजना निर्माण में उन निर्णयों पर रोक लगती है जो अतार्किक, अलाभप्रद और अत्यधिक खर्चीले हैं। अत यह कार्य को निश्चितता प्रदान करती है, उचित दिशा प्रदान करती है और उद्देश्यों का सही ज्ञान देकर समन्वय और समानता की ओर अग्रसर करती है।
नियोजन में सावधानियां (Carefulness in Planning)
नियोजन करते समय प्रशासन को कुछ महत्त्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है।
(i) योजना का निर्माण प्रजातन्त्र के सिद्धान्तों पर होना चाहिए। सभी को अपने विचार रखने की स्वतन्त्रता होनी चाहिए और सभी को समान रूप से भाग लेने की छूट होनी चाहिए।
(ii) शिक्षा के लक्ष्य प्रत्येक स्तर पर स्थिर और निश्चित होने चाहिए योजना का उद्देश्य कम-से-कम समय और कम-से-कम व्यय में उत्तम कार्य होना चाहिए।
(iii) योजना का निर्माण शैक्षिक उन्नति के लिए होना चाहिए और इनमें वस्तुनिष्ठता तथा निष्पक्षता होनी चाहिए।
(iv) कार्यकर्ताओं को प्रत्येक स्तर पर उनकी क्षमता एवं योग्यता के अनुसार कार्य का विभाजन होना चाहिए और इन योजनाओं का सम्बन्ध वर्तमान तथा भविष्य की योजनाओं से होना चाहिए।
(v) योजना की क्रियान्वित सफलतापूर्वक होनी चाहिए और इसके लिए सम्बन्धित कार्य-प्रणाली, विधि-विधान, सभी साधन स्रोतों का निर्धारण एवं योगदान होना चाहिए।
(vi) योजना निर्माण के समय ध्यान रखना चाहिए कि सभी व्यक्तियों का सहयोग सक्रिय रूप से मिले।
(vii) योजना में स्वाभाविक रूप से लचीलापन होना चाहिए ताकि समय और आवश्यकतानुसार उसने परिवर्तन और परिवर्द्धन किया जा सके।
अतः स्पष्ट है कि प्रशासन के आधारभूत कार्यों में प्रथम नियोजन अर्थात् योजना निर्माण एवं उसका क्रियान्वयन महत्त्वपूर्ण कार्य है। योजना की सफलता उपलब्ध साधन स्रोतों का अधिकतम उपयोग है। इस सन्दर्भ में इलियट एवं मॉसियर का मत है, "योजना निर्माण के समय शैक्षिक आवश्यकताओं और उपलब्ध सपनों के सन्दर्भ में उद्देश्यों का निर्धारण होना चाहिए और समुदाय विशेष की अपेक्षाओं तथा शिक्षों के आवश्यकता को ध्यान में रखकर विशिष्ट कार्यक्रम और गतिविधियों का आयोजन करने हेतु कार्य इकाइयों का निर्माण किया जाना चाहिए।"
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