October 10, 2023

प्रशासन एवं प्रबन्धन के कार्य (Functions of Administration and Management)

 प्रशासन एवं प्रबन्धन के कार्य


आज के युग में, शिक्षा के क्षेत्र में उत्तरोत्तर विकास होने के साथ-साथ शैक्षिक प्रशासन के कार्यों में भी तीव्रगति से वृद्धि हुई है। शैक्षिक प्रशासन से सम्बद्ध सभी व्यक्ति शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति को ही अपना मानकर कार्य को सम्पादित करते हैं। शिक्षा प्रशासन के माध्यम से ही समाज में संचालित विद्यालयों एवं अन्य शैक्षिक संस्थाओं के कार्यों को संचालित किया जाता है ताकि अधिक से अधिक प्रतिफल प्राप्त हो सके शैक्षिक प्रशासन के भिन्न-भिन्न कार्यों का उल्लेख भिन्न-भिन्न विद्वानों द्वारा किया गया है जो निम्न प्रकार है –

[1] मॉलमेल के अनुसार शिक्षा प्रशासन के कार्य 


शिक्षाविद् मॉलमेल ने शैक्षिक प्रशासन के कार्यों को दो भागों में विभक्त किया है--


(A) निर्देशात्मक कार्य 

(B) क्रियाशील कार्य 

(A) निर्देशात्मक कार्य —

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कार्य आते हैं--


(1) शिक्षा के भिन्न-भिन्न प्रकारों का प्रशासन करना।

(2) शिक्षा के भिन्न-भिन्न स्तरों का शासन करना।

(3) शिक्षा की भिन्न-भिन्न शाखाओं को प्रशासन करना।

(4) शिक्षकों हेतु व्यावसायिक शिक्षाको व्यवस्था करना।

(5) श्रव्य-दृश्य प्रशिक्षण एवं सेवाओं की व्यवस्था करना। 

(6) शिक्षक कल्याण एवं छात्र-सेवा की व्यवस्था करना।

(7) शैक्षिक मूल्यांकन एवं प्रमाण-पत्र कार्यक्रम। 

(8) सेवारत शिक्षकों एवं विस्तार शिक्षा की व्यवस्था करना।

(9) निर्देशात्मक कार्यक्रमों का संगठन करना।


(B) क्रियाशील कार्य — 

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कार्यों का समावेश किया गया है - 

(1) जनता, विद्यालय, महाविद्यालय एवं पुस्तकालय को सेवाएं करना।।

(2) अनुशासन एवं नियन्त्रण रखना। 

(3) शैक्षिक एवं व्यावसायिक सेवाओं की व्यवस्था करना।

(4) वैयक्तिक प्रशासन ।

(5) शिक्षकों की नियुक्ति एवं प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।

(6) शैक्षिक वित्त योजना बनाना।

(7) शोध प्रशासन, सर्वेक्षण एवं साख्यिकी ।

(8) व्यवस्था करना।

(9) नीतियों एवं विधियों को निधारित करना।

(10) शैक्षिक योजना बनाना एवं उन्हें क्रियान्वित करना।

(11) पाठ्य-पुस्तकों का प्रकाशन करना। 

(12) पाठ्यक्रम पुनर्गठन एवं प्रशासन करना।

(13) छात्रवृत्तियों एवं अन्य अनुदानों का विवरण करना।


[ ॥] सीयर्स के अनुसार शिक्षा प्रशासन के कार्य 

 जे०वी० सीयर्स ने शैक्षिक प्रक्रिया की प्रकृति नामक अपनी पुस्तक में शिक्षा प्रशासन के पाँच प्रमुख कार्यों का उल्लेख किया है-

(1) योजना बनाना 

(2) व्यवस्था करना 

(3) निर्देशन या संचालन करना 

(4) समायोजन या समन्वय करना

(5) नियन्त्रण या मूल्यांकन करना

उपरोक्त कार्यों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है-

(1) योजना बनाना -

जे०वी० सीयर्स महोदय का मानना है कि प्रशासन का सर्वप्रथम एवं प्रमुख कार्य-योजना बनाना है। क्योंकि योजना निर्माण पर ही किसी कार्य की सफलता या असफलता नि करती है। योजना का निर्माण करते समय सर्वप्रथम उद्देश्यों का निर्धारण करना पड़ता है। कार्य के सम्बन्ध सूचनाओं का संकलन किया जाता है एवं आवश्यकताओं एवं बाधाओं को भी ध्यान में रखा जाता है।उपरोक्त्त तथ्यों का अभिप्रायः यह है कि किसी कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व उन सभी बातों पर विश्लेषणात्मक ढंग विचार किया जाता है जिनको सम्पादित करने से कार्य में सफलता प्राप्त होती है। 


(2) व्यवस्था करना - 

सीयर्स महोदय के अनुसार शैक्षिक प्रशासन का दूसरा महत्त्वपूर्ण कार्य व्यवस्था करना है। व्यवस्था का अभिप्राय योजना को क्रियान्वित कराने में सहायक आवश्यक साधनों को जुटाना है। व्यवस्था के अन्तर्गत सर्वप्रथम कुछ नियमों एवं कार्य करने का ढंग का निर्धारण किया जाता है। सीयर्स के अनुसार शैक्षिक प्रशासन के अन्तर्गत दो तथ्यों पर ध्यान देना नितान्त आवश्यक है--

 (1) शिक्षण कार्य की सरलता एवं सुगमता के लिए विभिन्न उपकरणों को जुटाना ।

(ii) शैक्षिक कार्य करने वाले व्यक्तियों को जुटाना। शिक्षण कार्य की सरलता एवं सुगमता के लिए विभिन्न उपकरणों के जुटाने का अभिप्राय कक्षा भवन् बैठने की कुर्सियों, मेज, श्यामपट्ट, चाक, डस्टर, सहायक सामग्री आदि से लिया जाता है जबकि शैक्षिक कार्य करने वाले व्यक्तियों को जुटाने का अभिप्राय-शिक्षक, लिपिक तथा अन्य कर्मचारियों से लिया जाता है।


(3) निर्देशन या संचालन करना —

सीयर्स महोदय के अनुसार शिक्षा प्रशासन क तीसरा महत्त्वपूर्ण कार्य निर्देशन या संचालन करना है। संचालन के सम्बन्ध में सीयर्स का कहना है कि प्रशासन के अन्तर्गत, संचालन कार्य निर्णय को प्रभावित करता है। कार्य को प्रारंभ करने का संकेत देता है। यह बताता है कि  कार्य  कब प्रारंभ किया जाए और कब खत्म किया जाए ।इस दृष्टिकोण से संचालन को गत्यात्मक कहा जा सकता है और कार्य करने हेतु उत्तरदाई व्यक्ति द्वारा संचालन को निर्देशित एवं नियंत्रित किया जा सकता है।


(4) समायोजन या समन्वय स्थापित करना -

 सीयर्स महोदय का मानना है कि शैक्षिक प्रशासन का चौथा महत्त्वपूर्ण कार्य समायोजन या समन्वय त्यापित करना है। समन्वय के सम्बन्ध में सीयर्स महोदय का कहना है कि, प्रशासन के अन्तर्गत समायोजन या समन्वय व्यक्ति, सामग्री तथा साधनों के मध्य, इस आशय से मधुर सम्बन्ध स्थापित करता है जिससे वे समस्त मिलकर किसी कार्य को प्रभावी ढंग से कर सकें।" समायोजन मानवीय एवं भौतिक साधनों को एक स्थान पर जुटाने का कार्य करता है। सीयर्स के अनुसार समायोजन का आशय है किसी कार्य की सफलता हेतु समस्त सम्बन्धित व्यक्तियों का परस्पर सहयोग एवं सद्भावनापूर्वक कार्य करना, समस्त व्यक्तियों को सामूहिक शक्ति प्रदान करना। विद्यालय के प्रबन्धक, प्रचार्य, शिक्षक, शिक्षार्थी, कर्मचारी आदि सभी को एक-दूसरे के विचारों का आदर करना चाहिए तथा एक टीम भावना के अनुसार कार्य करना चाहिए।


(5) नियन्त्रण या मूल्यांकन करना  -

सीयर्स महोदय के अनुसार शैक्षिक प्रशासन का अन्तिम महत्त्वपूर्ण कार्य नियन्त्रण या मूल्यांकन करना है। किसी भी संस्था एवं संगठन में कार्यरत व्यक्तियों की अच्छाई, बुराई और उनको कार्यक्षमता का मापन नियन्त्रण की प्रक्रिया द्वारा ही किया जाता है तथा मूल्यांकन के उपरान्त ही व्यक्तियों को निर्देशन प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति किस सीमा तक अधिकारों का प्रयोग करेगा, इसका निर्धारण, नियन्त्रण की प्रक्रिया के अभाव में सम्भव नहीं हो सकता। इस सन्दर्भ में सीयर्स महोदय ने लिखा है कि, कोई भी जब तक सम्बन्धित व्यक्तियों, वस्तुओं या लक्ष्यों पर हो सही प्रकार नियन्त्रण न कर से तब तक वह किसी क्रिया के सम्बन्ध में निर्देशन नहीं दे सकता।


शिक्षण संस्थाओं में शिक्षण प्रणाली तथा शिक्षकों के कार्यों का मूल्यांकन करने के अतिरिक्त पाठ्यक्रम, शिक्षण विधि, पाठ्य-पुस्तकें निर्देशन सामग्री पाठ्येतर क्रियाएं आदि सभी का मूल्यांकन किया जाता है। 


[IIl] शिकागो विश्वविद्यालय की नेशनल सोसायटी फॉर दी स्टडी ऑफ एजुकेशन के अनुसार शैक्षिक प्रशासन के कार्य  

 

इस सोसायटी ने शैक्षिक प्रशासन के निम्नलिखित कार्यों का उल्लेख किया है-

(1) स्थानीय नियन्त्रण को शक्ति प्रदान करना।

(2) प्रजातान्त्रिक पद्धति से युक्त कार्यक्रमों का संचालन करना।

(3) एक क्षेत्र से सम्बन्धित समस्याओं का संकलन करना। 

(4) मानवीय एवं भौतिक स्रोतों की क्षमताओं का अधिकाधिक लाभ उठाना ।

(5) सामाजिक संगठनों, संस्थाओं एवं जनता सेवकों द्वारा की गई प्रशंसा को अर्जित करना।

(6) नीतियों का निर्धारण करना एवं उन्हें लागू करना।

(7) व्यय धनराशि के बदले में अधिकाधिक लाभ प्राप्त करना ।

(8) उत्तरदायित्वों को सौंपना ।


[IV] रसेल टी० ग्रेग के अनुसार शैक्षिक प्रशासन के कार्य


रसेल टी० ग्रेग के अनुसार शैक्षिक प्रशासन के महत्त्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं-

(1) निर्णय लेना 

(2) योजना बनाना 

(3) व्यवस्था करना 

(4) सम्प्रेक्षण 

(5) प्रभाव डालना

(6) समन्वय करना 

(7) मूल्यांकन करना 


[V] हेनरी फेयॉल के अनुसार शिक्षा प्रशासन के कार्य 

हेनरी फेयॉल ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर शैक्षिक प्रशासन के निम्नलिखित कार्य बताऐ है -

(1) योजना करना 

(2) व्यवस्था करना 

(3) निर्देशन देना 

(4) समन्वय करना 

(5) नियन्त्रण करना 


[VI] जॉन रेम्सेयर के अनुसार शिक्षा प्रशासन सम्बन्धी कार्य 

(1) उद्देश्यों या लक्ष्यों का निर्धारण करना 

(2) नीति निर्धारित करना ।

(3) कार्यों का निर्धारण करना ।

(4) विभिन्न कार्यों में समन्वय स्थापित करना ।

(5) शैक्षिक साधनों का समुचित प्रयोग करना ।

(6) विभिन्न मसालों पर विचार-विमर्श करना।

(7) नेतृत्व करना ।

(8) सहयोगी स्रोतों को प्राप्त करना ।

(9) प्रभाव का मूल्यांकन करना।


[VII] लूथर गुलिक के अनुसार शैक्षिक प्रशासन के कार्य

लूथर गुलिक ने प्रशासन के सात कार्यों को बताया है—


(1) नियोजन करना 

(2) व्यवस्था करना 

(3) कर्मचारी नियुक्तिकरण 

(4) संचालन 

(5) समन्वयीकरण 

(6) रिपोर्ट लिखना 

(7) बजट बनाना 


शिक्षा प्रशासन के प्रमुख कार्य 


1- उत्तम शैक्षिक व्यवस्था करना

2- नीतियों एवं नीतियों का निर्धारण

3- सहायक सेवाओं की व्यवस्था करना

4- सभी शैक्षणिक संस्थाओं का विधि पूर्वक संचालन करना

5-  शैक्षिक योजनाओं को बनाना

6- कर्मचारियों का प्रबंध करना

7- संचालन करना

8- शैक्षिक वित्तीय व्यवस्था करना

9- पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण करना

10- परीक्षाओं की व्यवस्था करना

11- समायोजन या समन्वय स्थापित करना

12- आलेखों का अनुरक्षण

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