प्रशासन एवं शैक्षिक प्रशासन
Administration and Educational Administration
अवधारणा (concept)
"शैक्षिक प्रबन्ध एक ऐसी सेवा करने वाली गतिविधि है, जिसके माध्यम से शैक्षिक प्रक्रिया के लक्ष्य प्रभावकारी ढंग से प्राप्त किए जा सकते हैं।"(Educational Management is a Service activity through with the objective of educational process effectively realised.)
प्रशासन से अभिप्राय (Meaning of Administration)
'प्रशासन' मूल रूप में संस्कृत का शब्द है। यह 'प्र' उपसर्ग शास् धातु से आप बना है। इसका अर्थ है प्रकृष्ट या उत्कृष्ट रीति से शासन करना। आजकल शासन का अभिप्राय 'सरकार' से समझा जाता है, किन्तु इसका वास्तविक पुराना अर्थ निर्दश देना, पथ-प्रदर्शन करना, आदेश या आज्ञा देना है। वैदिक युग में प्रशासन का प्रयोग इसी अर्थ में होता था। उस समय सोमादि यज्ञों में मुख्य पुरोहित अन्य सहायक पुरोहितों को यक्ष को सामग्री तथा अन्य कार्यों के बारे में आवश्यक निर्देश एवं आदेश देने का कार्य किया करते थे, उसे प्रशास्ता कहा जाता था। बाद में यह शासन कार्य में निर्देश देने वाले संचालक और राजा के लिए प्रयुक्त होने लगा।
'प्रशासन' की भाँति इसके लिए अंग्रेजी में 'एडमिनिस्ट्रेशन' (Administration) शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह मूलतः 'एड' (Ad) उपसर्गपूर्वक सेवा करने का अर्थ देने वाली लेटिन की धातु 'Ministrere' से बना है। इसका मूल अभिप्राय एक व्यक्ति के द्वारा दूसरे व्यक्ति के हित की दृष्टि से उसको सेवा का कोई कार्य करना है, जैसे पादरी द्वारा किसी व्यक्ति को धार्मिक लाभ पहुंचाने के लिए धार्मिक संस्कार करना, न्यायाधीश द्वारा न्याय करना, डॉक्टर द्वारा बीमार को दवाई देना। शब्दकोष के अनुसार 'प्रशासन' शब्द का अर्थ है 'कार्यों का प्रबन्ध करना अथवा लोगों की देखभाल करना।' एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका में प्रशासन शब्द की व्याख्या इस प्रकार की गयी है कि "यह कार्यों के प्रबन्ध अथवा उनको पूर्ण करने की एक क्रिया है।"
प्रशासन' का अर्थ प्रकृष्ट रीति से शासित अथवा अनुशासित करता है। इसका यह अभिप्राय है कि इस क्रिया में अनेक व्यक्तियों को विशिष्ट अनुशासन में रखते हुए उनसे एक निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए कार्य कराया जाता है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रशासन एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए सहयोगी ढंग से किया जाने वाला कार्य है। प्रशासन के लिए अनेक व्यक्तियों का सहयोग, संगठन और सामाजिक हित का उद्देश्य अवश्य होना चाहिए।
साइमन के अनुसार, "अपने व्यापक रूप से प्रशासन की व्याख्या उन समस्त सामूहिक क्रियाओं से की जा सकती है जो सामान्य लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सहयोगात्मक रूप में प्रस्तुत की जाती है।"
मार्क्स के अनुसार, “प्रशासन चैतन्य उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निश्चयात्मक क्रिया है। यह उन वस्तुओं के एक संगठित प्रयत्न तथा साधनों का निश्चित प्रयोग है जिसको कि हम कार्यान्वित करवाना चाहते हैं।"
ब्रिटेनिका ऐनसाइक्लोपीडिया (Britainica Encyclopedia) के अनुसार- "Administration = Ad+ Minister अर्थात् कार्यों का निष्पादन एवं प्रबंधन करना।"
सी०वी० गुड (C.V. Good) के शब्दों में- “प्रशासन का तात्पर्य उन सभी तकनीकों एवं प्रक्रियाओंसे है जो निर्धारित नीतियों के अनुरूप किसी वैज्ञानिक संगठन के संचालन में प्रयुक्त की जाती हैं।"
रायबर्न (Rayburn) के अनुसार — “प्रशासन केवल व्यवस्थाओं, समय-तालिकाओं, कार्य-योजना, भवन का प्रकार, अभिलेखों आदि से सम्बन्धित नहीं है, बल्कि यह हमारे कार्य करने के दृष्टिकोण और बच्चों (जिनके साथ हम कार्य करते हैं) से सम्बन्धित है "
निगरों के अनुसार- "प्रशासन लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मनुष्य तथा सामग्री दोनों का संगठन है।"
व्हाइट के अनुसार, "प्रशासन किसी विशिष्ट उद्देश्य अथवा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बहुत से व्यक्तियों के सम्बन्ध में निर्देश, नियन्त्रण तथा समन्वयीकरण की कला है। "
लुथर गुलिक के अनुसार, "प्रशासन का सम्बन्ध कार्यों को सम्पन्न कराने से है जिससे कि निर्धारित लक्ष्य पूरा हो सके।"
शैक्षिक प्रशासन का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Education Administration)
शैक्षिक प्रशासन का अर्थ- शैक्षिक (विद्यालय) प्रशासन एक मानवीय प्रक्रिया है। शिक्षा का समुचित प्रबन्ध करना ही विद्यालय प्रशासन या शैक्षिक प्रशासन कहलाता है।
शिक्षा प्रशासन का अभिप्राय शिक्षा के प्रशासन से ही है। आधुनिक युग में शिक्षा का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक हो गया है। शिक्षा पर सम्पूर्ण राष्ट्र के विकास का उत्तरदायित्व है। शिक्षा एक गतिशील प्रक्रिया है और इसका सम्बन्ध मानव विकास के लिए किये जाने वाले मानवीय प्रयासों से होता है। अतः शिक्षा का प्रसार तथा उससे मिलने वाला लाभ शिक्षा प्रशासन के अभिकरणों को कुशलता तथा गतिशीलता पर निर्भर करता है। विश्व में प्रजातांत्रिक तथा एकतान्त्रिक शासन प्रचलित है। जैसी इन शासनों की प्रकृति है, वैसे ही शैक्षिक प्रशासन की प्रकृति भी होती है। शिक्षा के समस्त पक्ष ऐसे ही मूल आधारों से प्रभावित होते हैं। शैक्षिक प्रशासन को आज केवल शिक्षा की व्यवस्था करना ही नहीं समझा जाता अपितु शिक्षा के सम्बन्ध में योजना बनाना, संगठन पर ध्यान देना, निर्देशन तथा पर्यवेक्षण आदि अनेक कार्यों से गहरा सम्बन्ध है। वास्तव में शैक्षिक प्रशासन का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति करना है।
शैक्षिक प्रशासन के अन्तर्गत विद्यालय के विधिवत संचालन के थे सभी कार्य समाविष्ट होते हैं जिनमें प्रबन्ध, नियन्त्रण, व्यवस्था, पर्यवेक्षण एवं निर्देशन आदि आते हैं। इसमें योजना बनाना, प्रशासकीय कार्यवाही को निश्चित करना, सम्बन्धित कार्यकर्त्ताओं तथा विद्यार्थियों को आवश्यक सुविधाएँ एवं प्रोत्साहित उपलब्ध कराना, आवश्यक अभिलेख रखना, विद्यार्थी स्वशासन का संचालन करना, योग्यता के अनुसार कार्य का विभाजन करना, उनके कार्य आदि का समायोजन करना, विद्यालय और समाज के मध्य सहयोगपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करना आदि प्रवृत्तियों का समावेश होता है। अतः विद्यालय प्रशासन को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है-
"शैक्षिक प्रशासन यह प्रक्रिया है जिसके द्वारा शैक्षिक कार्य में लगे कार्यकत्ताओं के प्रयासों में समन्वय एवं सामंजस्य स्थापित किया जाता है। उपयुक्त साज-सज्जा का इस प्रकार उपयोग किया जाता है कि जिससे मानवोचित गुणों का प्रभावशाली ढंग से विकास हो सके, ताकि वे राष्ट्र की आकांक्षा एवं आशा के योग्य बन सकें।"
शैक्षिक प्रशासन की या शिक्षा प्रशासन की परिभाषाएँ-
पाल आर मोर्ट- "शिक्षा प्रशासन वह प्रभाव है, जो वांछित लक्ष्यों के सन्दर्भ में छात्रों को प्रभावित करता है, इसमें वह अन्य मानव समुदाय का उपयोग करता है, और शिक्षक इस कार्य में अभिकर्ता होता है। तीसरे समूह यानि जनता के लिये वह विभिन्न लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कार्य करता है।"
केन्डल के शब्दो मे -"मूल रूप से शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य यही है तथा छात्रों को ऐसी परिस्थिति में एक साथ लाया जाए जिससे अधिकतम रूप से सफलतापूर्वक शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।"
एडम्स बुक के अनुसार, " प्रशासन वह क्षमता है जो अनेक प्रकार की संघर्षमयो सामाजिक शक्ति को एक संगठन में इस प्रकार सुन्दर ढंग से व्यवस्थित करता है जिससे वह एक सम्पूर्ण इकाई के रूप में क्रियाशील हो।"
ग्रेशम कैकूर के शब्दों में, "शिक्षा प्रशासन वह राजनीति सत्ता है जब दीर्घकालीन नीतियों तथा लक्ष्यों को निर्धारित कर दिये गये नीति नियमों के अनुकूल प्रशासन के मार्गदर्शन में दिन-प्रतिदिन लक्ष्य प्राप्ति हेतु समस्या को हल किया जाता है।"
ग्राहम वालफोर के अनुसार, "शिक्षा प्रशासन सही छात्रों को, सही शिक्षा, सही शिक्षकों से प्राप्त करने योग्य बनाता है। यह कार्य वह राज्य के साधनों की क्षमता के अनुसार करता है और छात्र इसका लाभ अपने प्रशिक्षण के दौरान उठाता है।"
जे. बी. सीयर्स के मतानुसार, "शिक्षा में प्रशासन शब्द सरकार से सम्बन्धित है। इससे सम्बन्धित शब्द अधीक्षक, पर्यवेक्षण, नियोजन, अनावधान, दिशा संगठन, नियन्त्रण, मार्गदर्शन एवं नियमन है।"
इन सभी परिभाषाओं से यह तो स्पष्ट हो जाता है कि शिक्षा प्रशासन, शिक्षा संस्थाओं के कुशल संचालन का तंत्र है। इस तंत्र में नीति नियमों के अनुपालन द्वारा वांछित लक्ष्य प्राप्त किये जाते हैं। उक्त परिभाषाओं का निष्कर्ष इस प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है-
(1) शिक्षा से सम्बन्धित सभी क्रियाओं एवं साधनों के सम्पूर्ण उपयोग, संगठन आदेश, जन सहयोग के द्वारा वांछित लक्ष्य प्राप्त करने में शिक्षा प्रशासन सहयोग देता है।
(2) शिक्षा विकास के पथ पर ले जाती है।
(3) शिक्षा प्रशासन, शिक्षा सम्बन्धी सभी प्रयासों एवं संस्थाओं को संगठित करने का प्रयास है।
(4) शिक्षा प्रशासन का सम्बन्ध विभिन्न व्यक्तियों, शिक्षकों छात्रों, अभिभावकों, जनता के प्रयासों को समन्वित करने से है।
(5) शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करने में शिक्षा प्रशासन सहायक है।
शैक्षिक प्रशासन के लक्ष्य या उद्देश्य
(Aim of Education or Administration)
उद्देश्य या लक्ष्य के विषय में लिखते हुए जॉन डीवी ने कहा है, कि "उद्देश्य के अन्तर्गत व्यवस्थापूर्ण गतिशीलता होती है, जिसे क्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है। इसके लिये हम क्रियाशील होते हैं।"
इस सम्बन्ध एनसर्ट ने कहा है, "उद्देश्य वह बिन्दु है, जिसकी दिशा में कार्य किया जाता है। लक्ष्य या उद्देश्य को क्रिया द्वारा प्राप्त व्यवस्थित परिवर्तन भी कहते हैं।"
इस दृष्टि से उद्देश्यों को रचना इसलिये की जाती है-
(1) कार्य के दिशा निर्धारण हेतु,
(2) कार्य में निश्चितता तथा सार्थकता हेतु,
(3) समयबद्धता हेतु,
(4) संभाव्य कठिनाइयों के निवारण हेतु,
(5) वांछित परिणाम हेतु ।
शैक्षिक प्रशासन का मुख्य लक्ष्य उन उद्देश्यों का निर्माण एवं प्राप्ति के प्रयास करना है, जो अच्छे नागरिक होने के लिये आवश्यक है। प्रशासन के उद्देश्यों का निर्धारण किसी प्रयोजन के लिये किया जाता है।
(1) बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए उचित वातावरण तैयार करना—शैक्षिक प्रशासन शिक्षा सम्बन्धी कार्यों को सम्पन्न कराता है। शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत व्यक्तियों की सहायता करता है। इन सब के साथ-साथ शैक्षिक प्रशासन बच्चों के लिए ऐसा वातावरण तैयार करता है, जिसमें बालक का सम्पूर्ण विकास सम्भव हो सके। इस सन्दर्भ में कॅण्डल (Kandal) महोदय का मत है- "मूलतः शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य यह है कि अध्यापकों तथा छात्रों को ऐसी परिस्थितियों में एक-साथ लाया जाए जिससे की शिक्षा के उद्देश्य अधिक सफलतापूर्वक प्राप्त हो सकें।" "Fundamentally the purpose of educational administration is to bring pupils and teachers under such conditions as will more successfully promote the end of education."इस प्रकार आवश्यक साधन और सामग्री एकत्र करके उचित वातावरण बनाना शैक्षिक प्रशासन का प्रमुख उद्देश्य है।
(2) शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य है कि शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत व्यक्तियों को उनके उत्तरदायित्व का ज्ञान कराया जाए, बालक के व्यक्तित्व का विकास किया जाए और प्रत्येक व्यक्ति को उसकी क्षमता के अनुरूप कार्य करने के अवसर उपलब्ध कराए जाएं। इस दृष्टि से शैक्षिक प्रशासन प्रत्येक स्तर पर शैक्षिक कार्यक्रम, क्रियाकलाप और अन्य गतिविधियों का सुचारु रूप से संचालन करता है और कर्मचारियों की नियुक्ति, सेवा शर्ते तथा उनके प्रशिक्षण का निर्धारण करता है ताकि शिक्षा की सही दिशा में प्रगति हो सके। सही शिक्षा के सन्दर्भ में ग्राहम बैलफोर महोदय (Sir Graham Balfour) का मत है- "शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य सही बालकों को सही शिक्षकों द्वारा राज्य के सीमित साधनों के अन्तर्गत उपलब्ध व्यय से सही शिक्षा ले।
(3) शिक्षा को उत्पादन का साधन बनाना- शैक्षिक प्रशासन शिक्षा को उत्पादन का साधन बनाने में सहायता करता है। फलस्वरूप किसी संस्था के छात्रों की संख्या में वृद्धि होती है।
(4) शिक्षा को सुनिश्चित योजना और सुनियोजित रूप प्रदान करना—शैक्षिक प्रशासन शिक्षा को सुनियोजित रूप प्रदान करने में सहायता करता है। यह सुनिश्चित योजना का निर्माण करता है ताकि शिक्षा समाज के अनुरूप संचालित हो सके और राज्य एवं सरकार की शिक्षा नीतियों का क्रियान्वयन सही रूप में हो सके। सुनियोजन के सन्दर्भ में आर्थर वी० मोहिल्मन (Arthur B. Mohilman) का कथन है— "शिक्षा का कार्य निश्चित संगठन अथवा सुनिश्चित योजना, विधियों, व्यक्तियों तथा आर्थिक साधनों के माध्यम से चलना चाहिए।" "Education must function through a definite organization or structure of plans,procedures, personnel, material, plant and finance. "
(5) शिक्षा की आवश्यकताओं के अनुरूप निर्णय लेना एवं शिक्षा सम्बन्धी नीतियों का निर्धारण तथा क्रियान्वयन करना— शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य है कि महोदय सीयर्स ( B. Seares) का कथन है- "प्रत्येक प्रशासनिक निर्णय तथा प्रत्येक कार्य शैक्षिक आवश्यकताओं के अनुरूप लेना अत्यन्त आवश्यक है।""
(6) प्रजातान्त्रिक दृष्टिकोण विकसित करना—शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य छात्रों एवं कर्मचारियों क में श्रेष्ठ नागरिकता, धर्म-निरपेक्षता एवं समानता की भावना का विकास करना है। यह भावना प्रजातान्त्रिक दृष्टिकोण का विकास करती है तथा शिक्षण संस्थाओं के व्यक्तियों में पारम्परिक सहयोग और स्वशासन क प्रशिक्षण प्रदान करती है। शिक्षा के नवीन उद्देश्यों, मूल्यों, मान्यताओं, सिद्धान्तों आदि के साथ सामंजस्य स्थापित की करती है। इस प्रकार यह दृष्टिकोण शिक्षा सम्बन्धी नवीन उत्तरदायित्वों को स्वीकार करना तथा उनका उचित निर्वाह करने के लिए तैयार करता है ताकि जनतन्त्रीय व्यवस्था सफल हो सके। प्रजातन्त्र के सन्दर्भ में के०जी० सैयदेन महोदय का मत है— आज के युग में विद्यालय को प्रजातन्त्र के सिद्धान्तों के अनुसार चलाया जाना चाहिए। यदि यह सिद्धान्त ही ओझल हो गया तो प्रशासन तथा निरीक्षण का महत्त्व ही समाप्त हो जाता है।"
(7) छात्रों की रुचियों एवं अभिवृत्तियों में परिवर्तन लाना - शैक्षिक प्रशासन का कार्य केवल समय प विभाग चक्र बनाना ही नहीं है अपितु छात्रों की अभिवृत्तियों में परिवर्तन लाना भी है। इस सन्दर्भ में पी०सी० रेन (P. C. Ren) महोदय का कथन है- "शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य छात्रों के लाभ हेतु विद्यालय बनाने, उनकी अन्तर्निहित है क्षमताओं को प्रशिक्षित करने, उनका मानसिक विकास एवं दृष्टिकोण व्यापक बनाना है। यह छात्रों को स्वयं के प्रति है समुदाय और राज्य के प्रति कर्तव्यपरायण बनाता है और वारित्रिक विकास कर स्वास्थ्य एवं शक्ति प्रदान करता है।"