Showing posts with label TET. Show all posts
Showing posts with label TET. Show all posts

July 23, 2022

स्मृति व स्मरण (Memory & Remembering)

Utkarsh Education

स्मृति व स्मरण
Memory & Remembering


"Individuals differ in memory as they do in other abilities."-Woodworth

स्मृति का अर्थ व परिभाषा  
Meaning & Definition of Memory 

स्मृति एक मानसिक क्रिया है, स्मृति का आधार अर्जित अनुभव है, इनका पुनरुत्पादन परिस्थिति के अनुसार होता है। हमारे बहुत से मानसिक संस्कार स्मृति के माध्यम से ही होते हैं।

स्टर्ट एवं ओकडन (Sturt & Oakden,) के अनुसार :- -'स्मृति', एक जटिल शारीरिक और मानसिक प्रक्रिया है, जिसे हम थोड़े से शब्दों में इस प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं। जब हम किसी वस्तु को छूते, देखते, सुनते या सूंघते हैं, तब हमारे 'ज्ञान-वाहक तन्तु' (Sensory Nerves) उस अनुभव को हमारे मस्तिष्क के 'ज्ञान-केन्द्र' (Sensory Center) में पहुँचा देते हैं। 'ज्ञान-केन्द्र' में उस अनुभव की 'प्रतिमा' बन जाती है, जिसे 'छाप' (Engram) कहते हैं। यह 'छाप' वास्तव में उस अनुभव का स्मृति चिन्ह (Memory Trace) होती है, जिसके कारण मानसिक रचना के रूप में कुछ परिवर्तन हो जाता है। यह अनुभव कुछ समय तक हमारे 'चेतन मन' में रहने के बाद 'अचेतन मन' (Unconscious Mind) में चला जाता है और हम उसको भूल जाते हैं। उस अनुभव को 'अचेतन मन' में संचित रखने और 'चेतन मन' में लाने की प्रक्रिया को 'स्मृति' कहते हैं। दूसरे शब्दों में, पूर्व अनुभवों को अचेतन मन में संचित रखने और आवश्यकता पड़ने पर चेतन मन में लाने की शक्ति को स्मृति कहते हैं।

1. वुडवर्थ :- जो बात पहले सीखी जा चुकी उसे स्मरण रखना ही स्मृति हैं। "Memory consists in remembering what has previously been fearned"-Woodworth 

2. रायबर्न :- अपने अनुभवों को संचित रखने और उनको प्राप्त करने के कुछ समय बाद चेतना के क्षेत्र में पुनः लाने की जो शक्ति हममें होती है, उसी को स्मृति कहते हैं।" "The power that we have to store our experiences and to bring them into the field of consciousness some time after the experiences have occurred, is termed memory."-Reyburn  

3. जेम्स" स्मृति उस घटना या तथ्य का ज्ञान है, जिसके बारे में हमने कुछ समय तक नहीं सोचा है, पर जिसके बारे में हमको यह चेतना है कि हम उसका पहले विचार या अनुभव कर चुके हैं।" "Memory is the knowledge of an event, or fact, of which, meantime we have not been thinking, with the additional consciousness that we have thought or experienced it before."-James

इन परिभाषाओं का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि (1) स्मृति एक आदर्श पुनरावृत्ति है (2) यह सीखी हुई वस्तु का सीधा उपयोग है (3) इसमें अतीत में घटी घटनाओं की कल्पना द्वारा पहचान की जाती है। (4) अतीत के अनुभवों को पुनः चेतना में लाया जाता है।

स्मृतियों के प्रकार 
Kinds of Memories

स्मृति का मुख्य कार्य है—हमें किसी पूर्व अनुभव का स्मरण कराना। इसका अभिप्राय यह हुआ कि प्रत्येक अनुभव के लिए पृथक स्मृति होनी चाहिए। इतना ही नहीं, पर जैसा कि स्टाउट ने लिखा है :-"केवल नाम के लिए पृथक स्मृति नहीं होनी चाहिए, वरन् प्रत्येक विशिष्ट नाम के लिए भी पृथक स्मृति होनी चाहिए।  "There must not only by a separate memory for names, but separate memory for each particular name."-Stout 

1. व्यक्तिगत स्मृति : Personal Memory - इस स्मृति में हम अपने अतीत के व्यक्तिगत अनुभवों को स्मरण रखते हैं। हमें यह सदैव स्मरण रहता है कि संकट के समय हमारी सहायता किसने की थी। 

2. अव्यक्तिगत स्मृति : Impersonal Memory - इस स्मृति में हम बिना व्यक्तिगत अनुभव किए बहुत-सी पिछली बातों को याद रखते हैं। हम इन अनुभवों को साधारणतः पुस्तकों से प्राप्त करते हैं। अतः ये अनुभव सब व्यक्तियों में समान होते हैं। 

3. स्थायी स्मृति Permanent Memory - इस स्मृति में हम याद की हुई बात को कभी नहीं भूलते हैं। यह स्मृति, बालकों की अपेक्षा वयस्कों में अधिक होती है।

4. तात्कालिक स्मृति : Immediate Memory - इस स्मृति में हम याद की हुई बात को तत्काल सुना देते हैं, पर हम उसको साधारणतः कुछ समय के बाद भूल जाते हैं। यह स्मृति सब व्यक्तियों में एक-सी नहीं होती है, और बालकों की अपेक्षा वयस्कों में अधिक होती है।

5. सक्रिय स्मृति: Active Memory - इस स्मृति में हमें अपने पिछले अनुभवों का पुनः स्मरण करने के लिए प्रयास करना पड़ता है। वर्णनात्मक निबन्ध लिखते समय छात्रों को उससे सम्बन्धित तथ्यों का स्मरण करने के लिए प्रयास करना पड़ता है।

6. निष्क्रिय स्मृति Passive Memory- इस स्मृति में हमें अपने पिछले अनुभवो का पुनः स्मरण करने में किसी प्रकार का प्रयास नहीं करना पड़ता है। पढ़ी हुई कहानी को सुनते समय छात्रों को उसकी घटनाएँ स्वतः याद आ जाती हैं। 

7. तार्किक स्मृति : Logical Memory - इस स्मृति में हम किसी बात को भली भाँति सोच-समझकर और तर्क करके स्मरण करते हैं। इस प्रकार प्राप्त किया जाने वाला ज्ञान वास्तविक होता है।

8. यान्त्रिक (रटन्स) स्मृति Rote Memory - इस स्मृति में हम किसी तथ्य को किसी प्रश्न के उत्तर को बिना सोचे समझे रटकर स्मरण करते हैं। पहाड़ों को याद करने और रटने की साधारण विधि यही है। है

9. आदत स्मृति : Habit Memory - इस स्मृति में हम किसी कार्य को बार-बार दोहरा कर और उसे आदत का रूप देकर स्मरण करते हैं। हम उसे जितनी अधिक बार दोहराते हैं, उतनी ही अधिक उसकी स्मृति हो जाती है।

10. शारीरिक स्मृति : Physiological Memory - इस स्मृति में हम अपने शरीर के किसी अंग या अंगों द्वारा किए जाने वाले कार्य को स्मरण रखते हैं। हमें उँगलियों से टाइप करना और हारमोनियम बजाना स्मरण रहता है। 
11. इन्द्रिय अनुभव Sense Impression Memory - इस स्मृति में हम इन्द्रियों का प्रयोग करके अतीत के अनुभवों को फिर स्मरण कर सकते हैं। हम बन्द आँखों से उन वस्तुओं को छूकर, चखकर या सूंघकर बता सकते हैं, जिनको हम जानते हैं। 

12. सच्ची या शुद्ध स्मृति True or Pure Memory - इस स्मृति में हम याद किये हुए तथ्यों का स्वतंत्र रूप से वास्तविक पुनः स्मरण कर सकते हैं। हम जो कुछ याद करते हैं, उसका हमें क्रमबद्ध ज्ञान रहता है। इसीलिए, इस स्मृति को सर्वोत्तम माना जाता है।

स्मृति के अंग
Factors of Memory

स्मृति एक जटिल मानसिक प्रक्रिया है। वुडवर्थ (Woodworth) के अनुसार, स्मृति या स्मरण को पूर्ण क्रिया के निम्नलिखित 4 अंग, पद या खंड होते हैं : -

(1) सीखना: Learning - स्मृति का पहला अंग है— सीखना। हम जिस बात को याद रखना चाहते हैं, उसको हमें सबसे पहले सीखना पड़ता है।

(2) धारण Retention - स्मृति का दूसरा अंग है-धारण। इसका है— सीखी हुई बात को मस्तिष्क में संचित रखना। हम जो बात सीखते हैं, वह कुछ समय के बा हमारे अवेतन में चली जाती है। वहाँ वह निष्क्रिय दशा में रहती है। इस दशा में वह कितने समय तक साचत रह सकती है, यह व्यक्ति की धारण शक्ति पर विशेष निर्भर रहता है। 


(3) पुनः स्मरण Recall - स्मृति का तीसरा अंग है-पुनः स्मरण इसका अर्थ है-सीखी हुई बात को अचेतन मन से चेतन मन में लाना। जो बात जितनी अच्छी तरह धारण की गई है, उतनी ही सरलता से उसका पुनः स्मरण होता है। पर ऐसा सदैव नहीं होता है। भय, चिन्ता, शीघ्रता, परेशानी आदि पुनः स्मरण में बाधा उपस्थित करते हैं। बालक भय के कारण भली-भांति स्मरण पाठ को अच्छी तरह नहीं सुना पाता है। हम जल्दी में बहुत से काम करना भूल जाते हैं।

(4) पहिचान: Recognition स्मृति का चौथा अंग है—पहिचान। इसका अर्थ - है-फिर याद आने वाली बात में किसी प्रकार की गलती न करना। उदाहरणार्थ- हम पाँच वर्ष पूर्व मोहनलाल नामक व्यक्ति से दिल्ली में मिले थे। जब हम उससे फिर मिलते हैं, तब उसके सम्बन्ध में सब बातों का ठीक-ठीक पुनःस्मरण हो जाता है। हम यह जानने में किसी प्रकार की गलती नहीं करते हैं कि वह कौन है, उसका क्या नाम है, हम उससे कब, कहाँ और क्यों मिले थे ? आदि 


अच्छी स्मृति के लक्षण 

Marks of Good Memory


जीवन में वही व्यक्ति सफलता के शिखर पर शीघ्र पहुँचता है जिसकी स्मृति अच्छी होती है। ऐसा व्यक्ति भूतकाल की घटनाओं का स्मरण कर, वर्तमान में उसका लाभ उठाकर,

भविष्य को अच्छा बनाता है। स्टाउट (Stout) के अनुसार, अच्छी स्मृति में निम्नलिखित गुण, लक्षण या विशेषताएँ होती हैं

1. शीघ्र अधिगम Quick Learning- अच्छी स्मृति का पहला गुण है-जल्दी •सीखना या याद होना। जो व्यक्ति किसी बात को शीघ्र सीख लेता है, उसकी स्मृति अच्छी समझी जाती है। 

2. उत्तम धारण-शक्ति Good Retention अच्छी स्मृति का दूसरा गुण है— सीखी हुई बात को बिना दोहराए हुए देर तक स्मरण रखना। जो व्यक्ति एक बात को जितने अधिक समय तक मस्तिष्क में धारण' रख सकता है, उसकी स्मृति उतनी ही अधिक अच्छी होती है। 

3. शीघ्र पुनः स्मरण Quick Recall अच्छी स्मृति का तीसरा गुण है— सीखी हुई बात का शीघ्र याद आना। जिस व्यक्ति को सीखी हुई बात जितनी जल्दी याद आती है, उसकी स्मृति उतनी ही अधिक अच्छी होती है।

4. शीघ्र पहचान Quick Recognition- अच्छी स्मृति का चौथा गुण है— शीघ्र पहचान। किसी बात का शीघ्र पुनःस्मरण ही पर्याप्त नहीं है। इसके साथ यह भी आवश्यक है कि आप शीघ्र ही यह जान जायें कि आप जिस बात को स्मरण करना चाहते हैं, वही बात आपको याद आई है।

5. अनावश्यक बातों की विस्मृति : Forgetting Useless Things अच्छी स्मृति का पांचवां गुण है-अनावश्यक या व्यर्थ की बातों को भूल जाना। यदि ऐसा नहीं है, तो मस्तिष्क को व्यर्थ में बहुत-सी ऐसी बातें स्मरण रखनी पड़ती हैं, जिनकी भविष्य में कभी आवश्यकता नहीं पड़ती है। वकील मुकदमे के समय उससे सम्बन्धित सब बातों को याद रखता है, पर उसके समाप्त हो जाने पर उसमें से अनावश्यक बातों को भूल जाता है।

6. उपयोगिता Serviceableness अच्छी स्मृति का अन्तिम गुण है उपयोगिता इसका अभिप्राय यह है कि वही स्मृति अच्छी होती है, जो अवसर आने पर उपयोगी सिद्ध होती है। यदि परीक्षा देते समय बालक स्मरण की हुई सब बातों को लिखने में सफल हो जाता है, तो उसकी स्मृति उपयोगी है, अन्यथा नहीं।

स्मृति के नियम
Laws of Memory

बी. एन. झा. का मत है : "स्मृति के नियम वे दशाएँ हैं जो अनुभव के पुनःस्मरण में सहायता देती हैं।"

"Laws of memory are conditions which facilitate revival of past experience."-Jha 

झा (Jha) के इस कथन का अभिप्राय है कि हम स्मृति के नियमों को 'स्मरण में सहायता देने वाले नियम' कह सकते हैं। झा (Jha) के अनुसार, ये नियम 3 हैं; यथा :

1. आदत का नियम Law of Habit - इस नियम के अनुसार, जब हम किसी - विचार को बार-बार दोहराते हैं, तब हमारे मस्तिष्क में उसकी छाप इतनी गहरी हो जाती है कि हम में बिना विचारे उसको व्यक्त करने की आदत पड़ जाती है। उदाहरणार्थ, बहुत से लोगों को अद्धे, पौने, ढइये आदि के पहाड़े रटे रहते हैं। इनको बोलते समय उनको अपनी विचार-शक्ति का प्रयोग नहीं करना पड़ता है। बी. एन. झा (B. N. Jha, p. 282) के शब्दों में : "इस नियम को लागू करने के लिए केवल मौखिक पुनरावृत्ति बहुत काफी है। इसका सम्बन्ध यांत्रिक स्मृति (Rote Memory) से है।"

2. निरन्तरता का नियम Law of Perseveration - इस नियम के अनुसार, सीखने की प्रक्रिया में जो अनुभव विशेष रूप से स्पष्ट होते हैं, वे हमारे मस्तिष्क में कुछ समय तक निरन्तर आते रहते हैं। अतः हमें उनको स्मरण रखने के लिए किसी प्रकार का प्रयत्न नहीं करना पड़ता है। उदाहरणार्थ, किसी मधुर संगीत को सुनने या किसी दर्दनाक घटना को देखने के बाद हम लाख प्रयत्न करने पर भी उसको भूल नहीं पाते हैं। कालिन्स व ड्रेवर के शब्दों में :- "निरन्तरता का नियम तात्कालिक स्मृति में महत्त्वपूर्ण कार्य करता है।"

3. परस्पर सम्बन्ध का नियम : Law of Association- इस नियम को 'साहचर्य का नियम' भी कहते हैं। इस नियम के अनुसार, जब हम एक अनुभव को दूसरे अनुभव से सम्बन्धित कर देते हैं तब उनमें से किसी एक का स्मरण होने पर हमें दूसरे का स्वयं ही स्मरण हो जाता है; उदाहरणार्थ, जो बालक गांधीजी के जीवन से परिचित हैं, उनको सत्याग्रह के सिद्धान्तों या 'भारत छोड़ो' आंदोलन से सरलतापूर्वक परिचित कराया जा सकता है। गाँधीजी के जीवन से इन घटनाओं का सम्बन्ध होने के कारण बालकों को एक घटना का स्मरण होने पर दूसरी घटना अपने आप याद आ जाती है। स्टर्ट एवं ओकडन (Sturt & Oakden,) के अनुसार :-"एक तथ्य और दूसरे तथ्यों में जितने अधिक सम्बन्ध स्थापित किये जाते हैं, उतनी ही अधिक सरलता से उस तथ्य का स्मरण होता है।"के बाद हम लाख प्रयत्न करने पर भी उसको भूल नहीं पाते हैं। कालिन्स व ड्रेवर के शब्दों में :- "निरन्तरता का नियम तात्कालिक स्मृति में महत्त्वपूर्ण कार्य करता है।"

4. विचार - साहचर्य का सिद्धान्त : Principle of Association of Ideas - विचार- साहचर्य' का सिद्धान्त अति प्रसिद्ध है। इसका अर्थ है-दो या अधिक विचारों का इस प्रकार सम्बन्ध कि उनमें से एक की याद आने पर दूसरे की स्वयं याद आना। उदाहरणार्थ, दूध फैल जाने पर बालक रोता है। वह पहले कभी दूध फैला चुका है जिसकी वजह से उस पर डाँट पड़ चुकी है और वह रो चुका है। अतः जब दुबारा दूध फैलता है, तब उसे डाँट पड़ने की अपने-आप याद आ जाती है और वह रोने लगता है। इस सिद्धान्त का स्पष्टीकरण करते हुए भाटिया ने लिखा है :-"विचार-साहचर्य एक प्रसिद्ध सिद्धान्त है, जिसके अनुसार एक विचार किसी दूसरे विचार या विचारों का, जिनका हम पहले अनुभव कर चुके हैं, स्मरण दिलाता है।"

स्मरण करने की विधियाँ
Methods of Memorizing 

मनोवैज्ञानिकों ने स्मरण करने की ऐसी अनेक विधियों की खोज की है, जिनका प्रयोग करने से समय की बचत होती है। इनमें से अधिक महत्त्वपूर्ण निम्नांकित है :

1. पूर्ण विधि : Whole Method - इस विधि में याद किए जाने वाले पूरे पाठ को आरम्भ से अन्त तक बार-बार पढ़ा जाता है। यह विधि केवल छोटे और सरल पाठों या कविताओं के ही लिए उपयुक्त है।

2. खण्ड विधि : Part Method - इस विधि में याद किए जाने वाले पाठ को कई खण्डों या भागों में बाँट दिया जाता है। इसके बाद उन खण्डों को एक-एक करके याद किया जाता है। इस विधि का दोष यह है कि आगे के खण्ड याद होते जाते हैं और पीछे के भूलते जाते हैं। 

3. मिश्रित विधि : Mixed Method - इस विधि में पूर्ण और खण्ड विधियों का साथ-साथ प्रयोग किया जाता है। इसमें पहले पूरे पाठ को आरम्भ से अन्त तक पढ़ा जाता है। फिर उसे खण्डों में बाँटकर, उनको याद किया जाता है। अन्त में, पूरे पाठ को आरम्भ से अन्त तक फिर पढ़ा जाता है। यह विधि कुछ सीमा तक पूर्ण और खंड विधियों से अच्छी है।

4. प्रगतिशील विधि : Progressive Method - इस विधि में पाठ को अनेक खण्डों में विभाजित कर लिया जाता है। सर्वप्रथम, पहले खण्ड को याद किया जाता है, उसके बाद पहले और दूसरे खण्ड को साथ-साथ याद किया जाता है। फिर पहले, दूसरे और तीसरे खण्ड को याद किया जाता है। इसी प्रकार, जैसे-जैसे स्मरण करने के कार्य में प्रगति होती जाती है, वैसे-वैसे एक नया खण्ड जोड़ दिया जाता है। इस विधि का दोष यह है कि इसमें पहला खण्ड सबसे अधिक स्मरण किया जाता है और उसके बाद के क्रमशः कम ।

5. अन्तरयुक्त विधि : Spaced Method - इस विधि में पाठ को थोड़े-थोड़े अन्तर या अनय के बाद याद किया जाता है। यह अन्तर एक मिनट का भी हो सकता है और चौबीस घण्टे का भी। यह विधि 'स्थायी स्मृति' (Permanent Memory) के लिए अति उत्तम है। वुडवर्थ का मत है : अन्तरयुक्त विधि से स्मरण करने में सर्वोनम परिणाम होता है ।

6. अन्तरहीन विधि :  Unspaced Method - इस विधि में पाठ को स्मरण करने के के लिए समय में अन्तर नहीं किया जाता है। यह विधि 'अन्तरयुक्त विधि' की उल्टी है और उससे अधिक प्रभावशाली है।

7. सक्रिय विधि : Active Method - इस विधि में स्मरण किये जाने वाले पाठ को बोल-बोलकर याद किया जाता है। यह विधि छोटे बच्चों के लिए अच्छी है, क्योंकि इससे हैं उनका उच्चारण ठीक हो जाता है।

8. निष्क्रिय विधि : Passive Method - यह विधि, 'सक्रिय विधि' की उल्टी है। इसमें स्मरण किए जाने वाले पाठ को बिना बोले मन-ही-मन याद किया जाता है। यह विधि अधिक आयु वाले बालकों के लिए अच्छी है।

9. स्वर विधि : Recitation Method - इस विधि में याद किए जाने वाले पाठ को लय से पढ़ा जाता है। यह विधि छोटे बच्चों के लिए उपयोगी है, क्योंकि उनको गा-गाकर पढ़ने में आनन्द आता है।

10. रटने की विधि : Method of Cramming - इस विधि में पूरे पाठ को रट लिया जाता है। इस विधि का दोष बताते हुए जेम्स ने लिखा है :- इस विधि से जो बातें स्मरण कर ली जाती हैं, वे अधिकांश रूप में शीघ्र ही विस्मृत हो जाती हैं।"

11. निरीक्षण विधि : Method of Observing - इस विधि में याद किए जाने वाले पाठ का पहले भली प्रकार निरीक्षण या अवलोकन कर लिया जाता है। यदि बालक को संख्याओं की कोई सूची याद करनी है, तो वह पहले इस बात का निरीक्षण कर ले कि ये निश्चित क्रम में हैं। इस विधि के उचित प्रयोग के विषय में वुडवर्थ  ने लिखा है :- "पाठ को एक बार पढ़ने के बाद उसकी रूपरेखा को और दूसरी कर उसकी विषय-वस्तु को विस्तार से याद करना चाहिए।"

12. क्रिया-विधि : Method of Learning by Doing- इस विधि में स्मरण की जाने वाली बात को साथ-साथ किया भी जाता है। यह विधि बालक की अनेक ज्ञानेन्द्रियों कोएक साथ सक्रिय रखती है। अतः उसे पाठ सरलता और शीघ्रता से स्मरण हो जाता है।

13. विचार- साहचर्य की विधि : Method of Association of Ideas - इस विधि में स्मरण की जाने वाली बातों का ज्ञात बातों से भिन्न प्रकार से सम्बन्ध स्थापित कर लिया जाता है। ऐसा करने से स्मरण शीघ्रता से होता है और स्मरण की हुई बात बहुत समय तक याद रहती है। जेम्स  का मत है :-"विचार, साहचर्य उत्तम चितर द्वारा उत्तम स्मरण की विधि है।"

14. साभिप्राय स्मरण विधि : Method of Intentional Memorizing - पाठ को याद करने के लिए चाहे जिस विधि का प्रयोग किया जाये, पर यदि बालक उसको याद करने संकल्प या निश्चय नहीं करता है, तो उसको पूर्ण सफलता नहीं मिलती है। वुडवर्थ ने ठीक है लिखा है :-"यदि कोई भी बात याद की जानी है, तो याद करने का निश्वय आवश्यक है। The will to learn is necessary, if any learning is to accomplished."--Woodworth 

May 07, 2022

Important Facts of Educational Psychology

Important Facts of  Educational Psychology



 ☆ The main relation of education psychology is with learning.l this statement is - Sorre and Telford




  ☆ In which book was the foundation stone of psychology laid - Principles of Psychology




 ☆The author of 'Principal of Psychology' published in America is - William James




 ☆ present form of education psychology is – Comprehensive




☆ According to Garrison, the aim of education psychology is – Behavior Science




 According to Kuppu Swami, the best use of the principles of Education Psychology is - in 'best education' and 'best learning'.




 ☆  According to Kolesniek, the main purpose of education psychology is to solve the problems of education.




 ☆  According to Kelly, the objectives of educational psychology are – Nine




 ☆ According to Skinner the general objectives of educational psychology are – child development




 ☆ According to Skinner, the specific objectives of education psychology are – to help determine the level and goals of education according to the desired behavior of children.




☆  The field of education psychology includes all those knowledge and methods which are helpful in understanding better than the process of learning.




 ☆  According to Gates, education is the limit of psychology - 'volatile' and changing




 ☆  “Only on the basis of the particular condition, we should call someone a child, young or old.” This is the statement – ​​Frobelka




 ☆   Education should be the basis of principles according to Herbert - Psychologist




   ☆  According to Montessori, teaching work can be done effectively by a teacher only in that condition, when he has knowledge – of ‘experimental’ form of psychology.




   ☆ There is a need of education psychology in the present time – child centered education




   ☆ In the present time the need of education psychology is understood in -all-round development




  ☆  The main advantage of education psychology is – teacher  learner sweet relationship




  ☆  To recognise the students in the class on the basis of their differences, the teacher should have knowledge of – Education Psychology




 ☆ Why are the periods of maths, science or difficult subject placed first in the time table? - on the basis of psychology




  ☆   For successful and effective education learning process it is necessary – Teaching Learning Material Usage and Education Psychology Principles Use




 ☆  Which subject is used more in guidance and counseling? - Education Psychology




  ☆  Contribution to curriculum development is made on the basis of students' ability and interest.




  ☆  IQ is the test subject of – Education Psychology 




☆ The teacher educates by the knowledge of the children by the knowledge of psychology, by knowing about the nature, by knowing the nature, and by taking information about the economic status and family situation and gives education.


☆  The contribution of psychology in the field of education is – now education child centered has teacher children close contact efforts to establish and teacher students need knowledge may l


☆ Education psychology is a science of -educational  principles


☆ Education is considered to be the origin of psychology –  year 1900



☆ In parallel with the word 'psychology', the English language word 'psychology' is derived from which language?



☆ Education psychology is related to – Education,Philosophy and Psychology



☆ The literal meaning of education is to nurture, bring to the fore, and give vision.


☆ “Psychology is the science of the activities of persons coming in contact with the environment.” This is the statement – ​​Woodworth 

☆ “Psychology is the basic science of education” is the statement – ​​Skinner


 ☆ What is the relationship between the subject-content of education psychology – learning


☆ The children whose behavior is studied in educational psychology, are – retarded, intellect, backward and problematic.


☆ Educational psychology studies within the process of learning – the study of the effects of motivation and reinforcement.



☆"Psychology is the science of the mind" This is the statement -  Aristotle




    ☆ “Educational psychology is the cornerstone of the preparation of teachers. This is the statement – ​​Skinner’s




   ☆ To manage the data, the following work has to be done in relation to the collected data: – Classification, Tabulation, Graphic representation




   ☆ Psychology gives help in the field of education and tells--the aims of education are possible or not.




    ☆The  teacher should study education psychology because, so that with its help can make your teaching more effective.




    ☆“Psychology is the pure science of behavior.” The exponent of this definition is – E.Watson




    ☆The unconscious mind is studied by – psychoanalysis methods




   ☆ The father of the psychoanalytic system is – Singmond Fried




  ☆ In the present time there is psychology- behavior science




 ☆  Education is not a subject area of ​​psychology – EducationalEvaluation




   ☆ 'Education is obtained at a certain place'.




  ☆ The meaning of 'psychic' is - human, soul or mind.




   ☆ Psychology is called the science of behavior – Watson




   ☆  "Psychology is the scientific study of the mind", which includes not only intellectual, but also emotional experiences, motivating forces and actions or behavior.




   ☆ Psychology – Soul Science, Mind Science, Consciousness Science




 ☆ The factor affecting the human mind is – Person's interests,aptitudes, aptitudes, atmosphere 




 ☆ Psychology is pure science mind – James Drever




 ☆ Education Psychology –is a part of psychology




 ☆ It can be said in relation to the nature of education psychology.




 ☆ Under Psychology – Human Study is done




 ☆ The purpose of the study of educational psychology is to influence the learning of a thing by the students.




 ☆ Psychology helps in the field of education and clarifies the possibility of the purpose of education.




 ☆ The teacher does not have a direct need for the study of educational psychology.




 Manoyan is related to the study of animal behavior, while the field of education psychology is the study of human behavior, it is related to human behavior in educational situations.




 ☆ The parts of the teaching process are the Objectives of Teaching, the Evaluation of Teaching , the Knowledge Experience that make Teaching Meaningful.




 ☆ The basic purpose of education psychology is – keeping in mind the students' abilities and abilities, it affects the things that they learn about something.




 ☆ Education is related to – Education Aim and Classroom Environment Environment




 ☆ Education is the field of psychology




☆ The general purpose of education psychology is – childs personalitydevelopment,teaching workhelpand teachingmethodsimprovement




 “On the basis of the experiences of a particular person, we should call someone a child, young and old.” This is the statement – ​​Frobelka




 The main aim of education psychology is child-centred

May 05, 2022

शिक्षा मनोविज्ञान ( Education Psychology )

शिक्षा मनोविज्ञान ( Education Psychology )

 

शिक्षा मनोविज्ञान आवश्यक है – शिक्षा एवं अभिभावकों के लिए

 

शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य सम्बन्ध सीखने से है l यह कथन है – सॉरे एवं टेलफ़ोर्ड का

 

मनोविज्ञान की आधारशिला किस पुस्तक में रखी गई- मनोविज्ञान के सिद्धान्त

 

अमेरिका में प्रकाशित ‘Principal of Psychology’ के लेखक हैं – विलियम जेम्स

 

शिक्षा मनोविज्ञान का वर्तमान स्वरुप है – व्यापक

 

गैरिसन के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान का उद्देश्य है – व्यवहार का ज्ञान

 

कुप्पूस्वामी के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान के सिद्धांन्तों का सर्वोत्तम प्रयोग होता है – उत्तम शिक्षा एवं उत्तम अधिगम में

 

शिक्षा मनोविज्ञान का प्रमुख उद्देश्य कोलेसनिक के अनुसार है – शिक्षा की समस्याओं का समाधान करना

 

कैली के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्य हैं – नौ

 

स्किनर के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान के सामान्य उद्देश्य हैं – बाल विकास

 

स्किनर के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान के विशिष्ट उद्देश्य हैं – बालकों के वांछनीय व्यवहार के अनुरूपशिक्षा के स्तर एवं उदेश्यों को निश्चित करने में सहायता करना

 

शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में वह सभी ज्ञान और विधियां सम्मिलित हैं जो सिखने की प्रक्रिया से अधिक अच्छी प्रकार समझने में सहायक हैं l यह कथन है – ली का

 

गेट्स के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान की सीमा है – अस्थिर एवं परिवर्तनशील

 

“अवस्था विशेष के आधार पर ही हमें किसी को बालक युवा या वृद्ध कहना चाहिए l ” यह कथन है – फ़्रॉबेल का

 

हरबर्ट के अनुसार शिक्षा सिद्धान्तों का आधार होना चाहिए – मनोविज्ञानिक

 

माण्टेसरी के अनुसार एक अध्यापक द्वारा उस स्थिति में ही शिक्षण कार्य प्रभावी ढंग से किया जा सकता है, जब उसे ज्ञान होगा – मनोविज्ञान के प्रयोगात्मक स्वरुप का

 

वर्तमान समय में शिक्षा मनोविज्ञान की आवश्यकता है – बाल केन्द्रित शिक्षा

 

वर्तमान समय में शिक्षा मनोविज्ञान की आवश्यकता समझी जाती है – सर्वांगीण विकास में

 

शिक्षा मनोविज्ञान का प्रमुख लाभ है – शिक्षक शिक्षार्थी मधुर संम्बन्ध

 

कक्षा में छात्रों को उनकी विभिन्नताओं के आधार पर पहचानने के लिए शिक्षक को ज्ञान होना चाहिए – शिक्षा मनोविज्ञान का

 

समय सरणी में गणित, विज्ञान या कठिन विषय के कालांश पहले क्यों रखे जाते हैं – मनोविज्ञान के आधार पर

 

सफल एवं प्रभावशाली शिक्षा अधिगम प्रक्रिया के लिए आवश्यक है– शिक्षण अधिगम सामग्री का प्रयोगएवं शिक्षा मनोविज्ञान के सिद्धान्तों का प्रयोग

 

निर्देशन एवं परामर्श में किस विषय का अधिक उपयोग किया जाता है – शिक्षा मनोविज्ञान का

 

छात्रों की योग्यता एवं रूचि के आधार पर पाठ्यक्रम निर्माण में योगदान होता है – शिक्षा मनोविज्ञान का

 

बुद्धि परीक्षण विषय है – शिक्षा मनोविज्ञान का

 

शिक्षक मनोविज्ञान के ज्ञान द्वारा बालकों की – बुद्धि तथा रुचियों की जानकारी करके शिक्षा देता है , प्रकृति को जान कर शिक्षा देता है और आर्थिक स्तिथि तथा पारिवारिक स्थिति की जानकारी लेकर शिक्षा देता है ।

 

मनोविज्ञान का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान है – अब शिक्षा बाल केन्द्रित हो गई है , शिक्षक बालकों से निकट का संम्पर्क स्थापित करने का प्रयास करता है और शिक्षक को छात्रों की आवश्यकता का ज्ञान हो सकता है l

 

शिक्षा मनोविज्ञान एक विज्ञान है – शैक्षिक सिद्धान्तों का

 

शिक्षा मनोविज्ञान की उत्पति मानी जाती है – वर्ष 1900

 

‘मनोविज्ञान’ शब्द के समांनान्तर अंग्रेजी भाषा के शब्द ‘साइकोलॉजी’ की व्युत्पत्ति किस भाषा से हुई है – ग्रीक भाषा से

 

शिक्षा मनोविज्ञान का सम्बन्ध है – शिक्षा से , दर्शन से और मनोविज्ञान से

 

शिक्षा का शाब्दिक अर्थ है – पालन–पोषण करना , सामने लाना और नेतृत्व देना

 

“मनोविज्ञान वातावरण के सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों के क्रियाकलापों का विज्ञान है l ” यह कथन है – वुडवर्थ का

 

“मनोविज्ञान शिक्षा का आधारभूत विज्ञान है ” यह कथन है – स्किनर का

 

शिक्षा मनोविज्ञान की विषय - सामग्री का सम्बन्ध है – सीखने से
 

शिक्षा मनोविज्ञान में जिन बालकों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है, वह है – मंद बुद्धि, पिछड़े हुए और समस्यात्मक

 

सिखने की प्रक्रिया के अन्तर्गत शिक्षा मनोविज्ञान अध्ययन करता है – प्रेरणा व् पुर्नबलन के प्रभाव का अध्ययन

 

“मनोविज्ञान मन का विज्ञान है l ” यह कथन है – अरस्तू का

 

“शिक्षा मनोविज्ञान, अध्यापकों की तैयारी की आधारशिला है l यह कथन है – स्किनर का

 

आंकड़ों का व्यवस्थापन करने हेतु संकलित आंकड़ों के संबन्ध में निम्नलिखित कार्य करना होता है – वर्गीकरण , सारणीयन, आलेखी निरूपण

 

मनोविज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में सहायता देता है तथा बताता है – शिक्षा के उद्देश्य सम्भावित हैं अथवा नहीं

 

शिक्षा मनोविज्ञान का अध्ययन अध्यापक को इसलिए करना चाहिए , ताकि – इसकी सहायता से अपने शिक्षण को अधिक प्रभावशाली बना सके

 

“मनोविज्ञान व्यवहार का शुद्ध विज्ञान है ल” इस परिभाषा के प्रतिपादक हैं– ई० वाटसन

 

अचेतन मन का अध्ययन किया जाता है– मनोविश्लेषण विधियों द्वारा

 

मनोविश्लेषणात्मक प्रणाली के जन्मदाता हैं – सिंगमण्ड फ्राइड

 

वर्तमान समय में मनोविज्ञान है– व्यवहार का विज्ञान

 

शिक्षा मनोविज्ञान का विषय क्षेत्र नहीं है – शैक्षिक मूल्यांकन

 

‘शिक्षा किसी निश्चित स्थान पर प्राप्त की जाती है l ‘ यह कथन शिक्षा के किस अर्थ में प्रयुक्त होता है – शिक्षा का संकुचित अर्थ

 

‘साइकी’ का अर्थ है – मानवीय आत्मा या मन

 

मनोविज्ञान को व्यवहार का विज्ञानं कहा– वाटसन ने

 

“मनोविज्ञान मन का वैज्ञानिक अध्ययन है , जिसके अन्तर्गत न केवल बौद्धिक, अपितु संवेगात्मक अनुभूतियों , उत्प्रेरक शक्तियों तथा कार्य या व्यवहार भी सम्मिलित है l ” यह कथन है – सी० डब्ल्यू० वैलेंटाइन का

 

मनोविज्ञान – आत्मा का विज्ञान है ,मन का विज्ञान है , चेतना का विज्ञान है

 

मानव मन को प्रभावित करने वाला करक है – व्यक्ति की रुचियाँ , अभिक्षमताऐ , अभियोग्यताए , वातावरण है

 

मनोविज्ञान को शुद्ध विज्ञान मन है – जेम्स ड्रेवर ने

 

शिक्षा मनोविज्ञान – मनोविज्ञान का एक अंग है

 

शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति से सम्बन्ध में कहा जा सकता है – यह सर्वव्यापी है तो सार्वभौमिक भी

 

मनोविज्ञान के अंतर्गत – मानव का अध्ययन किया जाता है 

 

शिक्षा मनोविज्ञान के अध्य्यन के उद्देश्य है – विद्यार्थियों द्वारा किसी बात के सीखे जाने को प्रभावित करना

 

मनोविज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में सहायता देता है तथा स्पष्ट करता है – शिक्षा के उद्देश्य की सम्भावना

 

शिक्षक को शिक्षा मनोविज्ञान के अध्य्यन की प्रत्यक्ष आवश्यकता नहीं है – शारीरिक सुडौलता

 

मनोइयाँ का सम्बन्ध प्राणिमात्र के व्यवहार के अध्ययन से है, जबकि शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र – मानवीय व्यवहार के अध्य्यन से है , शैक्षिक संस्थितियों में मानव व्यवहार से है

 

शिक्षण प्रक्रिया के अंग है – शिक्षण के उद्देश्य , शिक्षण को सार्थक बनाने वाले ज्ञानानुभव , शिक्षण का मूल्यांकन

 

शिक्षा मनोविज्ञान का मूल उद्देश्य है – विद्यार्थियों योग्यताओं एवं क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए उनकेद्वारा किसी बात को सीखे जाने से संबन्धित बात को प्रभावित करता है

 

शिक्षा का सम्बन्ध है – शिक्षा के उद्देश्य  से और कक्षा पर्यावरण व् वातावरण से

 

शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र है – व्यापक

 

शिक्षा मनोविज्ञान के सामान्य उद्देश्य है – बालक के व्यक्तित्व का विकास , शिक्षण कार्य में सहायता और शिक्षण विधियों में सुधार

 

“अवस्ता विशेष के अनुभवों के आधार पर ही हमें किसी को बालक, युवा एवं वृद्ध कहना चाहिए l ” यह कथन है – फ्रोबेल
 का

 

शिक्षा मनोविज्ञान का प्रमुख उद्देश्य है – बाल केन्द्रित




शिक्षा मनोविज्ञान के महत्वपूर्ण तथ्य

 शिक्षा  मनोविज्ञान के महत्वपूर्ण तथ्य



(1) कहॉ पर बालक सामाजीकरण के नियम स्वयं सीखता है।
≫ - खेल के मैदान में।
जैसे – आपस मे सहयोग करना , अपने क्रोध पर सयंम करना , त्याग करना ।



(2) बालक में नकारात्‍मक सोच कौन सी अवस्‍था मे उत्‍पन्‍न हो जाती है।
≫ - किशोर अवस्था में !



(3) क्षेत्र सिद्धान्त किस विद्वान ने दिया था ।
≫ - कर्टलेविन ने ।



(4) कर्ट लेविन कहॉ के वैज्ञानिक थे।
≫ - जर्मनी के ।



(5) गेस्टाल्ट वादी क्या है।
≫ - जर्मनी के विद्वानों का समूह जिसमे
1. कोहलर
2. कोफा
3. वर्दिमर
शामिल है



(6) कर्ट लेविन किस समप्रदाय के समर्थक थे।
≫ - संज्ञानवादी ।



(7) क्षेत्र सिद्धान्त को किस-किस नाम से जाना जाता है।
≫ - 1. संज्ञानात्मक क्षेत्र सिद्धान्त‍
2. स्थान मनोविज्ञान सिद्धान्ता
3. बाल दिशा मनोविज्ञान



(8) कर्ट लेविन के क्षेत्र सिद्धान्त मे क्षेत्र का अर्थ क्या है।
≫ - जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से है।
जैसे
1. शिक्षा का क्षेत्र
2. स्वाषथ्य का क्षेत्र



(9) अधिगम का श्रेणीक्रम सिद्धान्त किसने दिया।
≫ - रार्बट गेने ने दिया ।



(10) रार्बट गेने किस समप्रदाय के समर्थक थे।
≫ - संज्ञानवादी ।



(11) मानसिक आयु के माध्‍यम से बुद्धि को परिभाषित किसने किया ।
≫ - अल्‍फ्रेड बिने ने ।
इन्‍होने बताया कि बुद्धि दो प्रकार की होती है।
1. मानसिक आयु बुद्धि
2. वास्‍तविक आयु बुद्धि



(12) अल्‍फ्रेड बिने किस देश के निवासी थे ।
≫ - फ्रांस के ।



(13) अल्‍फ्रेड बिने किस विषय के प्रोफेसर थे ।
≫ - मनोविज्ञान के ।



(14) बुद्धि का एक कारक सिद्धान्‍त किसने दिया ।
≫ - अल्‍फ्रेड बिने एवं उनके सहयोगीयो ने ।
1. स्‍टर्न
2. टरमन
3. साइमन



(15) बुद्धि के दो कारक सिद्धान्‍त किसने दिया ।
≫ - स्‍पीयर मैन ने ।



(16) बुद्धि के दो कारक सिद्धान्‍त कौन कौन से है।
≫ - बुद्धि के दो कारक सिद्धान्‍त
1. G कारक सिद्धान्‍त
2. S कारक सिद्धान्‍त



(17) बुद्धि का समूह कारक सिद्धान्‍त किसने दिया ।
≫ - थस्‍टर्न ने ।
इनके अनुसार बुद्धि के 7 कारक होते है।



(18) बुद्धि का बहु कारक सिद्धान्‍त किसने दिया ।
≫ - थार्नडाइक ने ।



(19) बुद्धि का बहु बुद्धि सिद्धान्‍त किसने दिया ।
≫ - गार्डनर ने ।



(20) बुद्धि का तरल व ठोस सिद्धान्‍त किसने दिया ।
≫ - R.B. कैटल ने ।



May 04, 2022

Educational Psychology- Important notes

 

Educational Psychology

 Education psychology is necessary -  for education  and  parents  

 The main relation of educational psychology is with learning . This statement is -  Sorey  and  Telford 

 

In which book was the foundation of psychology laid  - Principles of Psychology  

 

The author of 'Principal of Psychology' published in America is -  William  James

 

The present form of education psychology is –  Comprehensive

 

According to Gaurison the aim of education psychology is –  knowledge of behavior  

 

According to Kuppuswami, the principles of educational psychology are best used -  in good  education  and best  learning  .

 

The main aim of educational psychology according to Kolesnik is  to solve the problems of education .     

 

The objectives of educational psychology according to Kelly are –  Nine

 

According to Skinner the general objectives of educational psychology are –  child  development

 

According to Skinner , the specific objectives of education psychology are –  to help determine the level and objectives of education according to the desirable behavior of children  .              

 

The field of educational psychology includes all those knowledge and methods which are helpful in understanding better than the process of learning. This statement is –  Lee  's

 

According to Gates, education is the limit of psychology –  unstable  and  changing

 

“On the basis of the particular stage, we should call someone a child, young or old.” This is the statement –  ​​Froebel 

 

Education should be the basis of principles according to Herbert -  Psychologist

 

According to Montessori, teaching work can be done effectively by a teacher only if he has knowledge  of –  Experimental nature of psychology  .   

 

There is a need of education psychology in the present time  –  child  centered  education

 

In the present time the need of education psychology is understood  –  in all round  development 

 

The main advantage of education psychology is  - teacher  -  student  relationship 

 

To recognize the students in the classroom on the basis of their differences, the teacher must have the knowledge  –  of educational  psychology 

 

Why are the periods of maths, science or difficult subjects kept first in the time table  on the basis of psychology  

 

For successful and effective education-learning process, it is necessary -  use of teaching -  learning  material  and  use of principles  of educational  psychology .    

 

Which subject is used more in guidance and counseling  Education  psychology 

 

Contribution to curriculum development on the basis of students' ability and  interest Education  Psychology 

 

IQ test subject is  of education  psychology 

 

Through the knowledge of teacher psychology, children  's  intelligence  and  interests  The teacher teaches by knowing about of the children through the knowledge  of  ,  teaches by  knowing the nature and teaches by taking information about the economic condition and family situation .                   

 

There is contribution of psychology in the field of education –  now  education should be  child  centered  .   has  ,  the teacher  tries to establish close contact with the children  and the teacher can have knowledge of the needs of  the students .                  

 

Educational psychology is a science  –  of educational  principles 

 

Education is considered to be the origin of psychology  year  1900

 

In parallel with the word 'psychology', the English language word 'psychology' is derived from which language  from the Greek  language 

 

Education psychology   is  related to education philosophy and psychology     

 

The literal meaning of  education   is  to nurture , bring forth  and lead .    

 

“Psychology is the science of the activities of persons exposed to the environment.” This is the  statement –  ​​Woodworth 

 

“Psychology is the basic science of education  ”  says Skinner 

 

How is the subject-content related to education psychology  learning

 

The children whose behavior is studied in educational psychology  are retarded backward and  problematic .   

 

Educational psychology studies within the process of learning  –  the study of the effect of motivation  and  reinforcement   

 

"Psychology is the science of the mind." This is the  statement Aristotle 

 

“Educational psychology is the cornerstone of teacher preparation. This statement is given  by  Skinner  .

 

To manage the data, the following work has to be done in relation to the collected data  –  classification  ,  tabulation graphical  representation .

 

Psychology helps in the field of education and tells whether  the aims of  education  are possible or not .     

 

The teacher should study education psychology so that with  the help of  it he can make his teaching more effective .        

 

“Psychology is the pure science of behavior” –  E.  Watson is the exponent of this definition.

 

The unconscious mind is studied –  by psychoanalytic  methods 

 

The father of the psychoanalytic system is  –  Singmund  Fried

 

Psychology is in the present time –  the science of behavior  

 

Education is not a subject area of ​​psychology  –  Educational  assessment

 

'Education is obtained at a certain place.' In what sense is this statement used  narrow meaning of education   

 

'Psyche '  means  human  soul  or  mind

 

Psychology was called the science of behavior Watson 

 

"Psychology is the scientific study of the mind, which includes not only intellectual, but also emotional feelings, stimulating forces and actions or behavior." This is the statement  - C.  W.  Valentine 

 

Psychology  -  is the science of the soul  ,  is the science  of  the mind  ,  is  the  science  of consciousness   

 

The factor that affects the human mind is the  person  's  interests  ,  aptitudes,  aptitudes  , environment  . 

 

The pure science of psychology is the mind  James  Drever 

 

Educational  psychology a part of psychology    

 

In relation to the nature of education psychology, it can be said that  it is universal but it is also universal .     

 

under  psychology  Under human is  studied  _  _  

 

The purpose of the study of educational psychology is  –  by the students    is  to influence the  learning of .    

 

Psychology helps in the field of education and clarifies  –  possibility of aim of education    

 

The teacher does not have a direct need for the study of educational psychology  physical  fitness

 

Manoya is concerned with the study of animal behavior, while the field of education psychology is  the study of  human behavior  ,  educational situations  .       , human  behavior  in . 

 

The parts of the  teaching  process are  the  objectives of teaching  ,  knowledge experiences that make teaching  meaningful  ,  evaluation of teaching     

 

The basic objective of education psychology is  keeping  in mind the abilities and abilities of the students ,  by learning something by them .                 is the , it  them .   

 

Education is related  to the purpose of  education  and     class  environment  and  environment  .

 

The field of education psychology is  –  broad

 

The general purpose of education psychology is  development of the personality of the child   ,  in the teaching work .       assistance  and improvement in teaching  methods .  

 

“On the basis of the experiences of a particular person, we should call someone a child, young and old.” This is the statement  –  ​​Froebel 

 

The main objective of education psychology is  child  centered 

Featured Post

Translation-Cum-Grammar Method

Translation-Cum-Grammar Method This method is also known as classical method. It is the oldest method and came in India with the Britishers....