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July 12, 2022
Motivation
July 05, 2022
Forgetting
Forgetting
Meaning and Definition of Forgetting
Causes of Forgetting
Theoretical Causes
1. Theory of Disuse: The psychologists who favour this theory say that when an individual learns something, some memory traces are formed in his brain, and he memorizes the learnt material or activities with the help of these memory traces; however, if these are not repeated, these memory traces are erased with the passage of time and the individual forgets the learnt material or activities. Of course, an individual is not able to forget some motor skills, as riding a bicycle, driving a car, swimming, etc. even without practice over a long period of time. In addition to this, the material or activity that has been over-learnt by him, he does not forget that also, such as the national anthem learnt during childhood. Some bitter experiences are also remembered the whole life, as some fire accident, drowning in water, being insulted by somebody, etc.
General Causes
Following are the general causes of forgetting:
1. Ill-health: An individual forgets the learnt things due to ill-health.
2. Mental Illness: The learnt things are forgotten due to mental illnesses, mental instability, mental hurt, mental conflict, etc.
3. Nature of Learnt Material: If the learnt material is simple and meaningful, it is memorized over a long time; on the other hand, complex and meaningless material is forgotten soon.
4. Quantity of Learnt Material: If the quantity of learnt material is more, then there is a possibility of forgetting it fully or partially. This also depends on the nature of the material.
5. Methods of Learning: The material learnt by uninteresting methods is forgotten sooner.
6. Incomplete Learning: If a material is learnt incompletely, then it is forgotten sooner.
7. Time Interval: When a long interval of time has elapsed after having learnt a material and it is hardly used in the interval, then the material is generally forgotten.
8. Disuse: Disinterest, inattention and disuse of a material cause the forgetting of a material.
5. Methods of Learning: The material learnt by uninteresting methods is forgotten sooner.
6. Incomplete Learning: If a material is learnt incompletely, then it is forgotten sooner.
7. Time Interval: When a long interval of time has elapsed after having learnt a material and it is hardly used in the interval, then the material is generally forgotten.
8. Disuse: Disinterest, inattention and disuse of a material cause the forgetting of a material.
Means of Minimizing Forgetting
All those measures are adopted for diminishing forgetting which are applied for enhancing memory. These measures are as follows:
Importance of Forgetting in Education
July 04, 2022
Memory
Memory
Stages of Memory
Steps of Memory Process
Characteristics of Good Memory
Types of Memory
Methods of Memorization
7. Passive Method: In this method, a child repeats the content in his mind without speaking. This method is suitable for the students of higher classes and adults.
8. Method of Association of Ideas: In this method, the material to be learnt is associated with other things. It helps to memorize the material rapidly and it is retained in the memory over a prolonged period.
9. Recitation Method: In this method, a child recites the content by speaking and then recalls it after closing the book. Gates, in his experiments, found the recitation method as more useful as compared to continuous reading.
Factors Influencing Memory
Means of Improving Memory of Children
June 27, 2022
शैक्षिक उद्देश्य और अनुदेशनात्मक उद्देश्य
उद्देश्य का अर्थ
उद्देश्य ऐसा कथन या रूप हैं जो वांछित परिवर्तन की ओर संकेत करता है।
रॉबर्ट मेगर के अनुसार, ''एक उद्देश्य कुछ शब्दों का समूह है जो किसी कोर्स के वांछित परिणाम को व्यक्त करता है। यह ऐसी इच्छा है जो एक कथन द्वारा व्यक्त की जाती है और जिसमें शिक्षार्थी में प्रस्तावित परिवर्तन की व्याख्या की होती है। यह ऐसा कथन है जिसका प्रदर्शन शिक्षार्थी शिक्षक के अभिक्रमित प्रभाव के अन्त में करता है। यह वांछित अधिगम परिणाम का विशिष्टीकरण है अर्थात् यह अन्तिम व्यवहार है जो केवल मानवीय एवं दृष्टिगोचर गुणों को सूचित करता है।"
शैक्षिक लक्ष्य सामान्य कथन होते हैं। इनकी प्रकृति दार्शनिक होती है, अतः इसका स्वरूप अधिक व्यापक होता है। यह शिक्षण को दिशा प्रदान नहीं करते हैं। शिक्षण उद्देश्यों की प्रकृति मनोवैज्ञानिक होती है। शिक्षण की युक्तियों तथा व्यूह रचना के लिये इनका अधिक महत्व होता है।
डेबिट ए० गयने के अनुसार, "शैक्षिक उद्देश्यों से तात्पर्य छात्रों में होने वाले उन परिवर्तनों से हैं जो शैक्षिक क्रियाओं द्वारा नियोजित रूप से लाए जाते हैं। ये परिवर्तन समाज द्वारा निर्धारित प्रतिमानों के प्रतिबिम्ब हैं।"
इस परिभाषा से स्पष्ट होता है कि उद्देश्य की तीन विशेषताएं होती हैं ―
1. निर्देशन 一 यह उस क्रिया को निर्देशन प्रदान करता है जिसका निर्माण अन्तिम उद्देश्य की प्राप्ति के लिये किया गया है।
2. नियोजित परिवर्तन 一 यह नियोजित परिवर्तन में सहायता प्रदान करता है।
3. क्रिया का आधार 一 यह संगठित क्रियाओं को आधार प्रदान करता है।
बी० एम० ब्लूम के मतानुसार, "शैक्षिक उद्देश्य केवल वे लक्ष्य या उद्देश्य ही नहीं है जिन्हें प्राप्त करने के लिए पाठ्यक्रम की रचना की जाती है और जिनकी ओर शिक्षण को निर्देशित की किया जाता है अपितु यह मूल्यांकन की तकनीकी के निर्माण एवं प्रयोग के लिए विस्तृत स्पष्टीकरण भी प्रदान करता है।"
शैक्षिक उद्देश्यों की यह परिभाषा अत्यन्त व्यापक है। ब्लूम के विचारानुसार शिक्षा एक विध्रुवीय प्रक्रिया है।
ये तीन ध्रुव हैं 一
(1) शैक्षिक उद्देश्य
(2) अधिगम अनुभव
(3) व्यवहार में परिवर्तन।
अधिगम अनुभव शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये शिक्षण क्रियाओं द्वारा प्रदान किये जाते हैं और व्यवहार में परिवर्तन का मूल्यांकन शैक्षिक उद्देश्यों के अनुसार किया जाता है। अतः शैक्षिक उद्देश्य शिक्षण क्रियाओं तथा मूल्यांकन प्रविधियों का आधार है।
रार्बट मेगर के कथनानुसार, "एक अनुदेशनात्मक उद्देश्य ऐसी इच्छा है जो कथन द्वारा व्यक्त की जाती है और जिसमें शिक्षार्थी में प्रस्तावित परिवर्तन का उल्लेख होता है। उन्होंने आगे कहा है, 'अनुदेशनात्मक उद्देश्यों का कथन ऐसे शब्दों अथवा प्रतीकों का समूह जो आप की एक व्यक्त करता है कि आप जान सकें कि शिक्षार्थी क्या करेगा, कब अपनी उपलब्धि को प्रदर्शित करेगा और आप को कैसे मालूम होगा कि वह कब ऐसा कर रहा है।"
अनुदेशनात्मक उद्देश्य शिक्षार्थियों के व्यावहारिक परिवर्तन के रूप में प्राप्त होते हैं। वे वांछित अधिगम या शिक्षण के परिणाम या शिक्षार्थियों में व्यावहारिक उद्देश्य भी कहा जा सकता है। अनुदेशनात्मक उद्देश्य उन कौशलों, ज्ञान, योग्यताओं तथा दृष्टिकोणों की और संकेत करते हैं जिनकी प्राप्ति की विद्यार्थी से आशा की जाती है अर्थात् अध्यापक यार्थियों से आशा करता है कि अनुदेशन के परिणामस्वरूप वे इन्हें प्राप्त करेंगे। ये उद्देश्य सीमित, विशिष्ट, सुनिश्चित, स्पष्ट एवं क्रियात्मक होते हैं। ये कक्षीय शिक्षण से संबंधित होते है। ये बुनियादी उद्देश्य हैं, जिन्हें सीमित समय में आसानी से प्राप्त किया जा सकता हैं।
शैक्षिक उद्देश्य एवं अनुदेशनात्मक उद्देश्य में अन्तर
शैक्षिक उद्देश्य व्यापक होते हैं। ये शैक्षिक पद्धति तथा शिक्षा के व्यापक उद्देश्यों के साथ सबंधित होते हैं। शिक्षण अथवा अनुदेशनात्मक उद्देश्य संकुचित एवं विशिष्ट होते हैं और इनका सबंध कक्षीय शिक्षण के साथ होता है। शैक्षिक उद्देश्य प्राईमरी से विश्वविद्यालय तक शिक्षण को गठित करने से प्राप्त किये जाते हैं जबकि अनुदेशनात्मक उद्देश्य 30 से 45 मिनट की अवधि प्राप्त करने होते हैं।
अनुदेशनात्मक उद्देश्य {Instructional Objectives}
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